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मप्र में हो रहा अद्वैत वेदांत दर्शन से जन-जन को जोड़ने का अद्भुत कार्यः शिवराज

January 09, 2022

– स्टेच्यु ऑफ वननेस से ओंकारेश्वर बनेगा वैश्विक महत्व का स्थल, विश्व-कल्याण और वसुधैव कुटुम्बकम का भाव होगा विकसित

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि ओंकारेश्वर (Omkareshwar) में 108 फीट की आचार्य शंकर की बहुधातु प्रतिमा (108 feet multimetal statue of Acharya Shankar) की स्थापना, संग्रहालय और अंतरराष्ट्रीय वेदान्त संस्थान की स्थापना का प्रकल्प मध्यप्रदेश को पूरे विश्व से जोड़ने का कार्य करेगा। वस्तुत: यह एक राज्य का कार्य नहीं, मध्यप्रदेश की सीमाओं के बाहर देश के प्रमुख आचार्यों की सभा और संतों के आशीर्वाद से सम्पन्न किया जाने वाला महत्वाकांक्षी प्रकल्प है। स्टेच्यु ऑफ वननेस के निर्माण के पीछे भाव यह है कि मत-मतांतर, विद्वेष और वैमनस्य के भाव को समाप्त कर अद्वैत वेदांत के महत्व से जन-जन को अवगत करवाएगा। यह स्थान आचार्य शंकर के संपूर्ण जीवन दर्शन से अवगत करवाने, उनके अद्वैत वेदांत की अभिव्यक्ति, आने वाली पीढ़ी के चरित्र निर्माण, पर्यावरण संरक्षण, मठाम्नाय परम्परा, सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन, विश्व-कल्याण और वसुधैव कुटुम्बकम के भाव के विकास के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में उभरेगा।

मुख्यमंत्री चौहान शनिवार को मंत्रालय में आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासी मंडल की दूसरी बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा “धर्म की जय, अधर्म का नाश, प्राणियों में सद्भावना, विश्व का कल्याण” हमारा मुख्य उद्देश्य है। इस प्रकल्प से जुड़े कार्यों की निरंतर समीक्षा भी होगी। बैठक में प्रमुख संत और न्यास सदस्य स्वामी अवेधशानंद गिरि महाराज, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती महाराज, स्वामी चिदानन्दपुरी, स्वामी हरिब्रम्हेन्द्रानंद महाराज, मुकुल कानिटकर, स्वामी मित्रानंद, पद्मश्री वीआर गौरीशंकर एवं स्वामी वेदतत्वानंद उपस्थित थे। स्वामी स्वरूपानंद, चिन्मय मिशन, आस्ट्रेलिया और निवेदिता दीदी विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी ने वुर्चअल भागीदारी की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा की स्थापना सिर्फ प्रतिमा स्थापना कार्य ही नहीं बल्कि जीवन में व्यवहारिक वेदांत कैसे उतारा जाए इसका प्रकल्प है। यह दुनिया एक परिवार बने, इसके पीछे ये भाव भी है। न्यास के सदस्यों द्वारा दिये गये सुझाव पर मध्यप्रदेश सरकार गंभीरता से अमल करेगी। प्राप्त सुझावों के अनुरूप संपूर्ण कार्य-योजना को अंतिम स्वरूप देने के लिए तेजी से कार्य होगा।

आनंद विभाग की गतिविधियों से बदल रहे जीवन
उन्होंने न्यास के सदस्यों को बताया कि मध्यप्रदेश में आनंद विभाग के कार्यक्रम अल्पविराम, आनंदक केन्द्रों के प्रारंभ करने, स्वैच्छिक तौर पर आनंदक की सेवाएँ देने वाले शासकीय और अशासकीय सेवाभावियों के चयन, आनंद उत्सव के आयोजन और आनंद कैलेण्डर निर्माण से अनेक लोगों के जीवन में बदलाव आया है। आनंद विभाग की गतिविधियाँ व्यक्ति को एकांत के महत्व और कुछ समय के लिए अंतर्मुखी होकर आत्म-विश्लेषण और संपूर्ण जीवन के संबंध में चिंतन के लिए प्रेरित करती हैं। ओंकारेश्वर में एकात्मकता की प्रतिमा की स्थापना, शंकर संग्रहालय, आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान का उद्देश्य व्यक्ति को इस अर्थ प्रधान और भौतिक युग में सकारात्मक विचार और कार्य के लिए प्रेरित करना है। आनंद विभाग के कार्यों में एक महत्वपूर्ण गतिविधि जीवन में सहयोगी रहे व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना भी है। अनुपयोगी वस्तुओं को अन्य लोगों के उपयोग के लिए सौंप देने और बुजुर्ग लोगों के जीवन में उमंग-उत्साह लाने के लिए दादा-दादी और नाना-नानी दौड़ जैसे आयोजन सार्थक सिद्ध हुए हैं।

संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने इस प्रकल्प के संबंध में नागरिकों में उत्साह के प्रगटीकरण की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकल्प के पूरा होने के बाद ओंकारेश्वर के महत्व में और भी वृद्धि हो जाएगी।

आमंत्रित संतों और न्यासियों के विचार
स्वामी अवधेशानंद और विभिन्न राज्यों से आए न्यास के सदस्यों ने विचार रखे। महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि शंकराचार्य जी की दीक्षा भूमि और मध्यप्रदेश में स्टेच्यु ऑफ वननेस के निर्माण का कदम प्रेरक और अकल्पनीय है। यह विश्वव्यापी केन्द्र बनेगा। स्वामी जी ने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेद और योग के प्रति सभी का ध्यान आकर्षित हुआ। इनसे मानवीय मन को संबल भी मिला। इस अवधि में आध्यात्मिक स्वीकृति भी उत्पन्न हुई है। एकत्व का विचार प्रबल हुआ है। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा की स्थापना और प्रकल्प के अन्य कार्यों के पूर्ण होने से सभी सम्प्रदायों और आचार्यों को जोड़ा जाना संभव हो जाएगा। संत समाज को एक उत्सुकता है कि यह प्रकल्प शीघ्र पूर्ण हो। स्वामी जी ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान एक अद्भुत उपासक और शासक-प्रशासक हैं। ओंकोरश्वर का प्रकल्प जाति-बंधन भी तोड़ेगा। यह पूरे विश्व में अध्यात्म के विचार को प्रसारित करेगा। शंकराचार्य जी के दर्शन से ही एकात्मकता के सूत्र निकले हैं।

स्वामी परमात्मानंद ने कहा कि इस प्रकल्प से सभी जुड़ना चाहेंगे। मुख्यमंत्री चौहान की यह महत्वपूर्ण नेतृत्वकारी पहल है। स्वामी हरिब्रम्हेन्द्रानंद ने कहा कि आमजन के उद्धार का कार्य है। यह केन्द्र दर्शनीय रहेगा, इससे जन-जन जुड़ेगा। स्वामी मित्रानंद ने कहा कि निश्चित ही यह अद्भुत कार्य हो रहा है। मुकुल कानिटकर ने कहा कि ओंकारेश्वर प्रकल्प के क्रियान्वयन से हम सभी धन्य हैं। वीआर गौरी शंकर ने कहा कि ओंकारेश्वर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समस्त ज्योर्तिलिंग की अनुभूति प्राप्त होगी।

स्वामी वेदतत्वानंद ने कहा कि ओंकारेश्वर की यात्रा के बाद शंकराचार्य जी के दर्शन को घर-घर पहुँचाने में सहयोग मिलेगा। आस्ट्रेलिया से वर्चुअल भागीदारी करते हुए स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि राष्ट्रीय एकता में इस प्रकल्प की महत्वपूर्ण भूमिका है। कार्यों की प्रगति जानकर हृदय में प्रसन्नता की हिलोर उठ रही है। कन्याकुमारी केंद्र से दीदी निवेदिता ने भी वर्चुअली हिस्सेदारी की। उन्होंने कहा कि इस प्रकल्प के माध्यम से अद्वैत वेदांत से जन-जन को जोड़ने का अद्भुत कार्य हो रहा है। एकात्म जीवन दर्शन से पूरा विश्व अवगत होगा। यहाँ आकर सभी को विशेष अनुभूति होगी, जिसके लिए हमारे संतों, आचार्यों ने जोर दिया है। दीदी निवेदिता ने कहा, मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में यह एक श्रेष्ठ कार्य मध्यप्रदेश में हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी स्वामी एवं आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पधारे अन्य न्यास सदस्यों और संतों का स्वागत किया। उन्होंने स्वामी अवधेशानंद एवं आमंत्रित संतों से आशीर्वाद भी प्राप्त किया। बैठक के प्रारंभ और समापन पर मंत्रों का सामूहिक उच्चारण भी हुआ। (एजेंसी, हि.स.)

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