शिकायत मिलने पर एसडीएम ने लगाई रोक, तहसीलदार ने किया बड़ा खेल, पंजीयन विभाग के अधिकारियों की भी रही मिलीभगत, एक उपपंजीयक को निलंबित कर बनाया बलि का बकरा
इंदौर। जमीनी जादूगरों के शहर इंदौर (Indore) में एक से बढक़र एक खेल होते हैं। उसी कड़ी में एक 10 एकड़ की लूट का अजब और गजब मामला सामने आया है। कलेक्टर (Collector) सहित महानिरीक्षक पंजीयन तक को इस मामले की लिखित शिकायत की गई, जिसके बाद एसडीएम जूनी इंदौर (SDM Juni Indore) ने जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक लगा दी। मगर उसके पहले ही लगभग 90 रजिस्ट्रियां पंजीयन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर हो भी गई और अब एक महिला उपपंजीयक को बलि का बकरा बनाते हुए पिछले दिनों निलंबित किया गया। यह मामला पिपल्याकुमार की कासलीवाल परिवार की 10 एकड़ जमीन का है, जिसमें वारिसों को बेदखल करते हुए एक निजी कम्पनी के नाम जमीन का बंटवारा और नामांतरण कर दिया। इस जमीन की बाजार कीमत 100 करोड़ रुपए से कम नहीं है।
इस जमीन घोटाले में तथ्य यह हैं कि पिपल्याकुमार की सर्वे नम्बर 62/1, 62/2, 62/3 से लेकर अन्य सर्वे नम्बरों की लगभग 4 हेक्टेयर जमीन पर श्री राज विहार कॉलोनी काटी गई और पिछले 2 सालों में लगातार रजिस्ट्रियां की जाती रही। जबकि इस संबंध में जमीन मालिक वारिज पिता अभय कासलीवाल ने शिकायत दर्ज कराई कि उक्त कृषि भूमि उनके स्वामित्व और आधिपत्य की है। चूंकि वे अपने व्यापारिक कार्यों से विदेश में रहे, जिसके चलते मेसर्स केयू इंटरप्राइजेस प्रा.लि. द्वारा अवैध तरीके से राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम अंकित करवा लिया और अवैध तरीके से अनुमति-अनुज्ञा प्राप्त कर अवैध कॉलोनी ना सिर्फ काटी, बल्कि पंजीयन विभाग के साथ मिलीभगत कर हजार-हजार स्क्वेयर फीट के भूखंडों की रजिस्ट्रियां भी कर दी। कलेक्टर आशीष सिंह को भी इस मामले की शिकायत मिली और साथ ही भोपाल के महानिरीक्षक पंजीयन से लेकर इंदौर के सभी अधिकारियों को इसकी शिकायत की गई। नतीजतन एसडीएम जूनी इंदौर घनश्याम धनगर ने पिछले दिनों धारा 52 के तहत स्थगन आवेदन पर सुनवाई की प्रक्रिया शुरू की और साथ ही जमीन के क्रय-विक्रय पर स्थगन आदेश भी जारी कर दिया। दूसरी तरफ पंजीयन विभाग ने भी इस संबंध में जो जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी उसमें कहा गया कि पिपल्याकुमार की 4 हेक्टेयर यानी लगभग 10 एकड़ जमीन कासलीवाल परिवार के 5 अलग-अलग सदस्यों द्वारा 1994 में खरीदी और सभी की रजिस्ट्रियां अलग-अलग हुईं और नामांतरण होकर ऋण पुस्तिका व खसरे भी अलग ही थे। 2020 में तहसीलदार जूनी इंदौर ने बंटवारा प्रकरण में 28.07.2020 को जो आदेश पारित किया उसमें उक्त जमीन को 5 सदस्यों के नाम से हटाकर केयू इंटरप्राइजेस प्रा.लि. कम्पनी के नाम पर दर्ज कर डाला, जिसके चलते कम्पनी के डायरेक्टर लोकेन्द्र जैन और शम्भू कासलीवाल द्वारा हजार-हजार स्क्वेयर फीट के भूखंडों को पिछले डेढ़-दो सालों से लगातार बेचा जाता रहा। वारिज कासलीवाल की शिकायत पर उपपंजीयक श्रीमती प्रमिला गुप्ता ने जमीन के स्वामित्व और नामांतरण संबंधी दस्तावेज दिखाने की मांग विक्रेता लोकेन्द्र जैन से की गई। मगर विक्रेता ने दस्तावेज नहीं दिखाए, तब महानिरीक्षक पंजीयन भोपाल को शिकायत भेजी गई। इतना ही नहीं, जिला पंजीयक इंदौर-3 और वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. अमरेश नायडू को भी इसकी जानकारी दी गई। मगर रजिस्ट्रियां होती रही। पंजीयन विभाग ने भी अपनी टीप में यह माना कि चूंकि इंदौर कलेक्टर द्वारा प्रकरण की जांच की जा रही है और प्रथम दृष्ट्या ही यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि तहसीलदार ने ही गलत नामांतरण किया, जिसके चलते अनुविभागीय अधिकारी जूनी इंदौर ने भी 7 मार्च 2024 को क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी। वहीं वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. नायडू और जिला पंजीयक इंदौर 3 ने प्रकरण की विधिवत जांच किए बिना आधी-अधूरी रिपोर्ट सौंप दी, जिसके चलते उपपंजीयक श्रीमती प्रमिला गुप्ता का निलंबन किया गया, जो कि उचित नहीं है। यानी पंजीयन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक महिला उपपंजीयक को इस मामले में बलि का बकरा बना दिया। अभी तक 90 दस्तावेजों की रजिस्ट्रियां होना खुद पंजीयन विभाग ने ही माना है। अब संबंधित अधिकारियों पर भी इस मामले की गाज गिरेगी।
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