लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मरियम नवाज सरकार (Maryam Nawaz government) ने वाणिज्यिक भूखंडों (Commercial Plots) की नीलामी के लिए एक विज्ञापन जारी किया जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अहमदिया अल्पसंख्यक इसमें भाग नहीं ले सकेंगे। सरकार के इस कदम की अहमदिया समुदाय के एक संगठन ने कड़ी निंदा की। कई राष्ट्रीय दैनिकों में प्रकाशित विज्ञापन में प्रांत के झांग, चिनियट और चिनाब नगर क्षेत्रों में वाणिज्यिक भूखंडों की नीलामी के लिए जनता को आमंत्रित किया गया है और कहा गया है कि ‘‘अहमदियों को नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं है।’’
जमात-ए-अहमदिया ने की आलोचना
अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने सरकार के भेदभावपूर्ण रवैये की कड़ी निंदा की है। जेएपी ने कहा, ‘‘पंजाब हाउसिंग एंड टाउन प्लानिंग एजेंसी द्वारा अहमदिया लोगों को भूखंडों की नीलामी में भाग लेने से वंचित किया जा रहा है। यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान में सरकारी स्तर पर उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार जारी है।’’ संगठन ने कहा कि यह पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।
क्या है अहमदिया अल्पसंख्यक मुसलमान
बता दें कि अहमदिया अल्पसंख्यक मुसलमान पाकिस्तान में हाशिए पर जी रहे हैं। यह समुदाय सुन्नी मुस्लिमों की सब-कैटेगरी है, जो खुद को मुसलमान तो मानता है, लेकिन मोहम्मद साहब को आखिरी पैगंबर नहीं मानता। ये समुदाय यकीन करता है कि उनके गुरु यानी मिर्जा गुलाम अहमद, मोहम्मद के बाद नबी (दूत या मैसेंजर) हुए थे। वहीं पूरी दुनिया में इस्लाम को मानने वाले लोग पैगंबर मोहम्मद को ही आखिरी पैगंबर मानते हैं। यही वजह है कि अहमदिया मुस्लिम बाकियों से अलग माने जाते हैं।
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