– आज सूर्य ग्रहण भी पर भारत में नहीं दिखेगा
– नर्मदा – शिप्रा में स्नान के लिए रवाना हुए श्रद्धालु
– कल घट स्थापना के साथ मां की आराधना
इंदौर। आज सोमवती अमावस्या के साथ साल का पहला सूर्य ग्रहण भी है, लेकिन यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आने से इसकी मान्यता नहीं है। वहीं कल गुड़ी पड़वा से चैत्र नवरात्र का आगाज होगा और 9 दिनों तक माता की आराधना शुरू होगी।
पंचांग के अनुसार आज सोमवार को खग्रास सूर्य ग्रहण लगेगा। आज सोमवती अमावस्या भी है। यह खग्रास ग्रहण मुख्य रूप से कनाडा, मैक्सिको और संयुक्त राज्य अमेरिका (Unitd State America) में दिखाई देगा। पंडितों के अनुसार सूर्य ग्रहण जहां दिखाई देता है, वहीं सूतककाल माना जाता है, इसलिए भारत में सूतककाल मान्य नहीं होगा। वहीं आज सोमवती अमावस्या का दिन बेहद खास माना गया है। स्नान-दान करने के लिए शहर से हजारों श्रद्धालु नर्मदा-शिप्रा में डुबकी लगाने रवाना हुए। साल में बहुत कम बार ऐसा मौका आता है, जब सोमवार को अमावस्या आती है। साथ ही नवरात्रि से पहले सोमवती अमावस्या और इसी दिन सूर्य ग्रहण से इसका महत्व बढ़ गया है। इस दिन दान-पुण्य से कई गुना अधिक फल मिलेगा। साथ ही इस दिन पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहिए। आज कालसर्प दोष निवारण पूजा करने का विशेष फल मिलेगा। भगवान शंकर की पूजा विशेष फलदायी होगी। वहीं शहर के मंदिरों में चैत्र नवरात्र की तैयारियां पूरी हो गई हैं। मां के दरबार सज-संवरकर जगमग हो गए हैं। मंदिरों में कल घटस्थापना के साथ नौ दिनी यज्ञ, जाप और अनुष्ठान प्रारंभ होंगे। प्रतिदिन मातारानी का आकर्षक शृंगार कर महाआरती की जाएगी।
कल कलश स्थापना का यह है शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं, का शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 11 मिनट से प्रारंभ होकर 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना होती है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। 9 अप्रैल को अमृतसिद्धि और सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 07 बजकर 32 मिनट से लेकर पूरे दिन तक रहेगा। ज्योतिष में इन योगों को बहुत शुभ माना गया है।
गुड़ी पड़वा से कल शुरू होगा विक्रम संवत 2081
हिंदी कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इस बार हिंदू नववर्ष 09 अप्रैल से शुरू हो रहा है। धर्मशास्त्रों के अनुसार ब्रह्माजी ने संपूर्ण सृष्टि का सृजन चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा के सूर्योदय से किया था। पांडु पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक इसी दिवस पर हुआ। विक्रम संवत का नामकरण सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर हुआ। पूरे विश्व में जब वर्ष 2024 ईस्वी चल रहा है, तब हमारे सनातन कैलेंडर में वर्ष 2081 है। यानी एक पीढ़ी आगे।
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