नई दिल्ली। आश्विन (कुवार) कृष्णपक्ष में प्रतिपदा से पितृपक्ष (patriarchy) शुरू होता है, जिसका विसर्जन आमवस्या के दिन होता है। यह तिथि रविवार यानि आज 25 सितम्बर को है। पितृपक्ष में तर्पण, पिंडदान व श्राद्ध कर्म करने से पितरों के अलावा आठ वसु, नवग्रह, ब्राह्मण, रूद्र, अग्नि, पशु पक्षी भी संतुष्ट होते हैं। इस पक्ष में श्राद्ध करने से नीच ग्रह कुप्रभाव छोड़कर मनोवांछित फल देने लगते हैं। आमावस्या (amaavasya) तिथि पर शहर के विजयीपुर, महावीर, शिवरामपुर गंगा घाट (Shivrampur Ganga Ghat) सहित सरयू नदी के किनारे श्राद्ध कर्म के लिए भीड़ जुटेगी।
ज्योतिष शास्त्र(Astrology) में पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व बताया गया है। इस पक्ष में जो लोग जाने-अंजाने में अपने पितरों का तर्पण (tribute to ancestors) श्राद्ध नहीं करते हैं उन्हें पितृदोष लगता है। इसके परिणाम स्वरूप परिवार में अकाल मृत्यु, भाग्योदय न होना, विवाह में विलम्ब, संतान का न होना, खून की कमी आदि बाधाएं आने लगती है। इन बाधाओं से मुक्ति के लिए पितृपक्ष में पितरों को तर्पण, अर्घ्य, पिंडदान देने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
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पीपल के पेड़ की पूजा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं।
तर्पण करना
पितृपक्ष के दौरान अगर आप तर्पण नहीं कर पाएं हैं, तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है।
दान करना
सर्व पितृ अमावस्या के दिन दान करना बेहद शुभ माना गया है। कहते हैं कि इस दिन दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन चांदी का दान करना अति उत्तम माना गया है।
ब्राह्मणों को भोजन कराएं
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पूर्वजों के नाम का भोजन निकालें। इसे किसी खुले स्थान पर रखें। सर्व पितृ अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं. इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
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