इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

अमरवाड़ा : पटवारी की एक और अग्नि परीक्षा, मिशन अमरवाड़ा

कांग्रेस की अमरवाड़ा सीट बनी चुनौती,नाथ के नहीं रहने से पूरा भार पटवारी के कंधों पर

इंदौर। संजीव मालवीय
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में फेल होने के बाद अब जीतू पटवारी (Jeetu Patwari) के सामने एक और परीक्षा आ गई है। वह है अमरवाड़ा (Amarwada) में होने वाला उपचुनाव (By-elections), जिसमें कांग्रेस के प्रत्याशी को जिताना पटवारी के लिए चुनौती बना हुआ है। नाथ के खुले रूप से मैदान में नहीं आने से पिछले तीन दिनों से पटवारी ने अमरवाड़ा में ही डेरा डाल रखा है। सबकी निगाहें अमरवाड़ा सीट पर हैं और पटवारी इस अग्नि परीक्षा में फेल हो जाते हंै तो उनके विरोधियों को उनकी खिलाफत का एक और मौका मिल जाएगा।



जब से जीतू पटवारी ने प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला है, तब से ही वे किसी न किसी परीक्षा से गुजर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 10 से ज्यादा सीटें लाने का दावा करने वाले पटवारी एक भी सीट नहीं ला पाए और बची-खुची छिंदवाड़ा की सीट भी भाजपा के हाथ में जाती रही। इसके बाद पटवारी के विरोधियों को बोलने का मौका मिल गया। किसी ने उनमें नेतृत्व क्षमता की कमी बताया तो किसी ने उन्हें पद के लायक ही नहीं बताया। उन पर अपनी मनमर्जी से निर्णय लेने के आरोप भी लगे हैं। पटवारी इन सबसे उबर नहीं पाए थे कि अब उनके सामने अमरवाड़ा विधानसभा चुनौती बनकर सामने खड़ी हो गई है, जहां से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह भाजपा में चले गए और उपचुनाव की नौबत आ गई। यहां कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के तौर पर धीरनशाह इनवती को उम्मीदवार बनाया है तो तीसरी चुनौती के रूप में गोंडवाना गणतंत्र पाटी भी मैदान में है। फिलहाल पटवारी भोपाल के सारे कामकाज छोड़ छिंदवाड़ा में ही डेरा डाले हुए हैं और चुनावी रणनीति तैयार करने में लगे हैं। वहीं भाजपा ने भी कांग्रेस उम्मीदवार को चौतरफा घेरने की रणनीति तैयार कर ली है। पटवारी अगर ये चुनाव नहीं जिता पाते हंै तो एक बार फिर उनके विरोधियों को बोलने का मौका मिल जाएगा और हो सकता है कि हाईकमान पटवारी को लेकर सोचने पर मजबूर हो जाए।

नाथ की दूरी या मजबूरी
अपने पुत्र नकुलनाथ की सीट गंवाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अभी तक छिंदवाड़ा में नजर नहीं आए हैं। उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे विदेश में हैं। उनके साथ उनके पुत्र भी हैं। नाथ जानबूझकर चुनाव से दूर हैं या फिर कोई और मजबूरी के कारण वे यहां प्रचार नहीं कर रहे हैं, यह तो वे स्वयं ही बता सकते हैं। उनके नजदीकियों का कहना है कि वे 2 जुलाई को छिंदवाड़ा आएंगे।

10 जुलाई को है मतदान
प्रचार खत्म होने में मात्र 12 दिन और मतदान के 14 दिन शेष बचे हंै। 10 जुलाई को अमरवाड़ा में मतदान होना है और 13 जुलाई को मतगणना। यानी 13 जुलार्ईका दिन काफी अहम रहेगा। इसी बीच पटवारी किसी बड़े नेता की सभा को लेकर प्लान बना रहे हैं, लेकिन नाथ से जब तक बातचीत नहीं हो जाती, तब तक कोई बड़ा नेता भी यहां आने की गलती नहीं करेगा, क्योंकि मध्यप्रदेश और विशेषकर छिंदवाड़ा के मामले में दिल्ली में अभी भी नाथ की ही रजामंदी चलती है।

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