चंडीगढ़। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पंजाब कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट (Punjab Contract Farming Act) को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद इसे रद्द करने की तैयारी में है। कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार इसको लेकर निशाने पर आ गई। अब सरकार साल 2013 में शिअद भाजपा सरकार के समय बनाए गए इस कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट को रीपील करने की तैयारी कर कर रही है। इसके लिए कैप्टन सरकार पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में विधेकय (Bill) ला सकती है।
पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ ने जागरण से बातचीत में कहा कि वह इस बारे में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से चर्चा करेंगे। हमारी कोशिश रहेगी कि पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में इसे रद कर दिया जाए। उन्होंने बताया कि स्थानीय निकाय चुनाव के चलते इस पर अभी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बात नहीं हो पाई थी। वह जल्द ही इसको लेकर सीएम से मिलेंगे।
सुनील जाखड़ ने बताया कि शिरोमणि अकाली दल व भाजपा गठबंधन सरकार ने जब इस बारे में विधेयक पारित कराकर यह एक्ट बनाया था। उस समय भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। हमने कहा था कि किसानों के लिए एक्ट में जेल का प्रावधान न किया जाए लेकिन सत्ता के नशे में चूर अकाली नेताओं ने हमारी बात नहीं सुनी।
काबिले गौर है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने जब संसद में तीन कृषि कानूनों में एक कांट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट की तरफदारी करते हुए बयान दिया कि पंजाब सरकार की ओर से बनाया गया एक्ट जो हमसे भी ज्यादा खतरनाक है। हमारे एक्ट में किसानों को जेल भेजने का कोई प्रावधान नहीं है। कृषि मंत्री के इस बयान पर आम आदमी पार्टी के सहप्रभारी राघव चड्ढा ने कांग्रेस की घेराबंदी शुरू कर दी। उन्होंने कहा, जिस समय ये कानून पारित हुआ, कांग्रेस ने कोई विरोध नहीं किया और अब राजनीति कर रही है।
राघव चड्ढा के इस बयान पर सुनील जाखड़ ने कहा कि राघव चड्ढा को कोई बात करने से पहले तथ्य की जांच कर लेनी चाहिए। अगर वह तथ्यों की जांच करते तो उन्हें पता चलता कि जिस दिन ये एक्ट पारित हुआ उस दिन कांग्रेस ने सदन का बहिष्कार किया था और वह बाहर ‘मॉक सेशन’ चला रही थी। कांग्रेस ने तरनतारन की एक दलित लड़की को पुलिस द्वारा पीटने का विरोध किया था । लड़की को विधानसभा परिसर में बने पार्टी आफिस में लाने के चलते स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल ने उनके छह विधायकों को निलंबित कर दिया था जिसका पार्टी विरोध कर रही थी। एक भी दिन कांग्रेस सदन में नहीं थी।
सुनील जाखड़ ने कहा कि वैसे भी यह एक्ट राज्य में लागू ही नहीं है क्योंकि इसके न तो नियम बने हैं और न ही विवाद को निपटाने के लिए जिला और राज्य स्तरीय आयोग गठित किए हैं। पंजाब के एक्ट में किसानों और व्यापारियों के बीच विवाद पड़ने पर जिला व राज्य स्तरीय आयोग के पास जाने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि एक्ट में यह भी कहा गया है कि व्यापारी को किसानों के साथ कांट्रेक्ट करने के लिए अपने आप को रजिस्टर्ड करवाना होगा। यानी, पंजाब के जिस गांव में के किसान से व्यापारी ने कांट्रैक्ट करना है उस एरिया की संबंधित मार्केट कमेटी के पास व्यापारी को अपने आप को रजिस्टर्ड करवाना होगा जिसमें अपनी सारी बैंक डिटेल्स आदि देनी पड़ेंगी। दोनों ओर से कोई भी व्यक्ति कांट्रेट को तोड़ता है तो एक महीने की सजा का प्रावधान है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved