आज यानि 54 मार्च को मनाई जा रही है आमलकी एकादशी (Amalki Ekadashi) धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी या रंगभरनी एकादशी (Rangbharni Ekadashi) के रूप में मनाई जाती है। आमलकी एकादशी का हिंदु धर्म में विशेष महत्व है । मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु (Lord vishnu) की विधि-विधान से पूजा की जाती है। जो भी आज के दिन भगवान विष्णु की सच्ची श्रद्वा व संपूर्ण विधि विधान से पूजा करता है उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बतानें जा रहें हैं कि आमलकी एकादशी पर भगवान विष्णु जी की पूजा कैसे करना चाहिए तो आइये जानतें हैं ।
इसके लिए आपको सबसे पहले आंवले के पेड़ के चारों तरफ की भूमि को साफ करना होगा। फिर पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाएं। इसमें एक कलश स्थापित करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें। इसमें सुगंधी और पंच रत्न रखें। फिर इसके ऊपर पंच पल्लव रखें। दीप भी जलाएं। इसके बाद कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप लगाएं। फिर इसे वस्त्र पहनाएं। फिर आखिरी में कलश के ऊपर परशुराम (Parashuram) की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें। परशुराम जी विष्णु जी के छठे अवतार हैं। फिर विधि-विधान के साथ पूजा करें। आमलकी एकादशी (Amalki Ekadashi) को रात के समय भगवत कथा व भजन-कीर्तन करना चाहिए। फिर द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन कराएं। इसके बाद परशुराम की मूर्ति सहित कलश ब्राह्मण को भेंट दें। फिर अन्न जल ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved