इंदौर। खासगी ट्रस्ट की कई राज्यों में मौजूद लगभग ढाई सौ बेशकीमती व अरबों की सम्पत्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 71 पेज का फैसला दिया है, जिसकी स्टडी शासन-प्रशासन और विधि महकमे द्वारा की जा रही है। संभागायुक्त कार्यालय से प्रमुख सचिव को कल एक चिट्ठी भी भेजी गई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करने की अनुमति मांगी गई है, साथ ही सरकार ट्रस्ट की बिकी जमीनों की जांच भी सुप्रीम कोर्ट फैसले के मद्देनजर करवाएगी और इसमें दोषी पाए गए ट्रस्टियों के साथ अफसरों से वसूली की कार्रवाई भी की जाएगी, वहीं यह तथ्य भी कोर्ट के संज्ञान में लाया जा रहा है कि जो सम्पत्तियां बिक गई हैं, उन्हें वापस कैसे हासिल किया जाएगा।
कलेक्टर मनीष सिंह का भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट फैसले को देखा जा रहा है और किसी आईएएस अधिकारी को ही इस ट्रस्ट की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अरबों की इन सम्पत्तियों को सरकारी तो नहीं माना, लेकिन शासन द्वारा जो रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट का प्रावधान किया गया है, उसके अधीन अवश्य कर दिया है। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 30 दिन की समयावधि तय की है। तब तक ट्रस्टियों को धारा 14 के तहत इसका पंजीयन भी विधिवत प्रशासन के समक्ष करवाना पड़ेगा। कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है और रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट की जिम्मेदारी किसी अनुभवी आईएएस अधिकारी को सौंपी जाएगी, ताकि ट्रस्ट के अधीन आने वाली बेशकीमती सम्पत्तियों का बेहतर तरीके से संरक्षण हो सकेे। दूसरी तरफ इस प्रकरण की ओवायसी उपायुक्त राजस्व सपना शिवाले के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी गई है।
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