उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर के पीछे परिसर से प्राचीन छोटे शिव मंदिर के आसपास खड़े प्राचीन पीलर और गुंबद अचानक गायब हो गए, साथ ही शिवलिंग के साथ चबूतरे पर स्थापित नंदी भगवान और एक अन्य प्रतिमा भी स्थापित नहीं है। इस संबंध में मंदिर प्रशासक संदीप सोनी का कहना है कि मंदिर में चल रहे निर्माण कार्य रात में भी होते हैं रात्रि में डंपर की टक्कर से मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ है जिसे पूर्ण सुधारा जाएगा। महाकाल मंदिर के जूना महाकाल के सामने विराजित नंदी के पास प्राचीन मंदिर के पीलरऔर मंदिर का गुंबद अचानक गायब हो गया। मंदिर के चबूतरे पर बनी दो प्रतिमाएं भी गायब हैं। बताया जाता है कि बुधवार की शाम तक तो जूना महाकाल मंदिर के सामने नंदी प्रतिमा के पीछे यह अति प्राचीन मंदिर था लेकिन गुरुवार सुबह जब पंडे पुजारी पहुँचे तो मंदिर की दशा देखकर हैरान और अचंभित थे। इस मंदिर को पशुपतिनाथ मंदिर के रूप में भी जाना जाता है जहाँ भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ मां पार्वती, भगवान श्रीगणेश और नंदी की प्राचीन प्रतिमाएं भी विराजित थीं लेकिन वर्तमान में अब ना तो मंदिर का प्राचीन गुंबद और ना ही काले पत्थरों का नक्काशी दार पीलरबचे हैं।
यही नहीं इस मंदिर के चबूतरे से भगवान शिव के साथ लगी अन्य प्रतिमाएं भी लापता हैं। प्रतिदिन की तरह जब मंदिर में पूजा पाठ करने वाले यहाँ पहुँचे तो मंदिर को देखकर आश्चर्यचकित रह गए, क्योंकि यहाँ मंदिर के नाम पर सिर्फ एक ओटला ही बचा हुआ था। मंदिर के चबूतरे पर अन्य मूर्तियाँ भी लापता और भगवान नंदी की प्रतिमा भी गायब थी। क्षतिग्रस्त ओटले पर सिर्फ भोलेनाथ का शिवलिंग बचा था। महाकाल मंदिर परिसर में स्थित इस प्राचीन मंदिर के नक्काशीदार पीलरऔर मंदिर के ऊपर का गुंबद और मूर्तियाँ रातोंरात कहाँ चली गई। जब जानकारी निकाली गई तो पता चला कि मंदिर में चल रहे निर्माण कार्य के लिए रात में आए मंदिर के अंदर एक डंपर की टक्कर से यह मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ और मंदिर पर सिर्फ चबूतरा ही रह गया। दो मूर्तियां भी इसी से खंडित हो गई। अब मंदिर समिति का कहना है कि मंदिर के दीवार और गुंबद को पुन: बनाया जाएगा और जो मूर्ति खंडित हुई है उसके स्थान पर दूसरी लगाई जाएगी लेकिन सवाल यह उठता है कि नए निर्माण से इस मंदिर की पुरानी प्राचीन वैभवता पूरी तरह नष्ट हो गई।
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