नई दिल्ली। भारत में विदेशी फलों (exotic fruits) की खपत बढ़ती जा रही है. पहले तो ज्यादातर विदेशी फल दूसरे देशों से आयात किए जाते थे, लेकिन देश के कई किसान युवा और प्रोफेशनल आगे आकर इन विदेशी फलों की खेती कर रहे हैं. इन्हीं विदेशी फलों में शामिल है ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit ) , जो सेहत के लिए फायदेमंद तो है ही, कमाई का भी अच्छा जरिया बनता जा रहा है.
अब किसानों के साथ-साथ कई युवा प्रोफेशनल तक नौकरी छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती (dragon fruit farming) में जुट गए हैं, लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं एक ऐसे डॉक्टर के बारे में, जो मरीजों को ड्रैगन फ्रूट खाने की सलाह भी देते हैं और खुद ड्रैगन फ्रूट की खेती भी करते हैं.
सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि हैदराबाद (Hyderabad) के डॉक्टर श्रीनिवास राव माधवराम (Dr. Srinivasa Rao Madhavaram) डॉक्टर छोड़ी नहीं है, बल्कि वह मरीजों के साथ-साथ अपने खेत खलिहानों को भी संभाल रहे हैं. साथ ही किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं. इस तरह नौकरी और पैशन के बीच वह काफी अच्छे से टाइम मैनेजमेंट (time management) कर लेते हैं. यही खास बात आज उन्हें कृषि में सफल बना रही है.
कैसे मैनेज करते हैं टाइम
हैदराबाद के कुकटपल्ली गांव के रहने वाले डॉक्टर श्रीनिवास राव माधवराम आंतरिक चिकित्सा (internal Medicine) में एमडी की डिग्री रखते हैं. वह सुबह 7:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक मरीजों की देखभाल करते हैं. इसके बाद वह अपना पूरा दिन खेत खलिहान और किसानों (barns and farmers) के बीच बिताते हैं. 36 साल के डॉक्टर श्रीनिवासन चिकित्सा और खेती में बराबर का योगदान दे रहे हैं. यह इसलिए भी मुमकिन हुआ क्योंकि उनका जन्म में किसान परिवार में हुआ था. अपने दादा और अपने पिता को खेत खलिहान में मेहनत करते देख श्रीनिवासन बड़े हुए.
वैसे तो खेती में बचपन से ही रुचि थी, लेकिन मेडिसिन की डिग्री के बाद साल 2016 में जब उन्हें ड्रैगन फ्रूट के फायदे के बारे में पता चला तो इसके फायदे और की बनावट को देखकर काफी आकर्षित हुए. उस समय ड्रैगन फ्रूट विदेशों से आयात किया जाता था. डॉक्टर श्रीनिवास ने भी सबसे पहला ड्रैगन फ्रूट वही चखा जो वियतनाम से आयात हुआ था, लेकिन लंबे समय तक स्टोर रहने के कारण इसकी ताजगी खत्म हो गई और इसमें वह स्वाद भी नहीं रहा. उस समय डॉक्टर श्रीनिवास को इसका स्वाद तो पसंद नहीं आया, लेकिन उनके मन में इसकी खेती करने का आईडिया जरूर आ गया. तभी उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती करके भारत को इसका ताजा प्रोडक्शन देने का निर्णय लिया.
ड्रैगन फ्रूट की खेती के साथ ट्रेनिंग
जानकारी के लिए बता दें कि डॉक्टर श्रीनिवास के पास तेलंगना के संगारेड्डी में करीब 30 एकड़ जमीन है, जिस पर वह 45 से अधिक प्रकार के ड्रैगन फ्रूट उगाते हैं. आज ड्रैगन फ्रूट की खेती में एक के साथ एक रिसर्च और एक ट्रेनर के रूप में अपना योगदान दे रहे हैं. वह अपने ड्रैगन फ्रूट के खेत पर रिसर्च-डेवलपमेंट जैसे काम करते हैं और करीब 5000 किसानों को इसकी मुफ्त ट्रेनिंग दे चुके हैं. डॉक्टर श्रीनिवास बताते हैं कि यह फल बेशक स्वादिष्ट नहीं है, लेकिन सेहत के लिये काफी ज्यादा फायदेमंद है.
डॉक्टर श्रीनिवास बताते हैं कि जब उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की तो इसकी दो ही किस्मों के बारे में जानते थे. शुरुआत में उन्होंने महाराष्ट्र (Maharashtra) से लेकर पश्चिम बंगाल तक के किसानों से ड्रैगन फ्रूट के पौधे खरीद कर 1000 पौधे अपने खेतों में लगाये, लेकिन ज्यादातर पौधे मिट्टी और जलवायु में नहीं पनप सके. यह पौधे कम गुणवत्ता के थे, इसलिये जल्दी नष्ट हो गए. इसके बाद डॉक्टर श्रीनिवास ने ताइवान जाकर ड्रैगन फ्रूट की खेती सीखने का निर्णय लिया. वहां उन्होंने ड्रैगन फ्रूट के पौधों की ग्राफ्टिंग और हाइब्रीड़ाइजिंग तकनीक की ट्रेनिंग ली और भारत लौटकर उन्नत किस्म के पौधे विकसित किये.
भरपूर उत्पादन देते हैं खेत
आज खेती और अपने डॉक्टरी के प्रोफेशन में लंबा सफर तय करने के बाद डॉक्टर श्रीनिवास राव माधवराम ड्रैगन फ्रूट के प्रति एकड़ खेत से 10 टन तो फलों का उत्पादन ले रहे हैं. उनका खेत सालाना 100 टन तक फलों की पैदावार देता है. ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए उन्होंने वियतनाम, ताइवान, फिलीपींस समेत 13 देशों में ट्रेनिंग की है. डॉक्टर श्रीनिवास बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट का एक ही पौधा 20 साल तक फल दे सकता है. यह पूरी तरह से इसके रखरखाव पर निर्भर करता है. वैसे तो उस पौधे में देखभाल की ज्यादा जरूरत नहीं होती, लेकिन ड्रैगन फ्रूट की जैविक खेती करने पर परिणाम काफी अच्छे मिलते हैं. एक बार जब ड्रैगन फ्रूट के पौधे विकसित हो जायें तो जून से लेकर अक्टूबर तक भरपूर फलों का उत्पादन मिलता है.
ड्रैगन फ्रूट की खेती से पाई सफलता
आज 6 साल बाद डॉक्टर श्रीनिवास माधवराम अपने खेतों से 60 हजार से ज्यादा ड्रैगन फ्रूट का प्रोडक्शन ले चुके हैं. उनके फार्म से बेहद अच्छी क्वालिटी के फलों का उत्पादन मिलता है, जो बाजार में हाथों-हाथ बिक जाते हैं. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने खेतों में नर्सरी भी बनाई है, जहां उन्नत किस्म के पौधे विकसित किए जाते हैं. साथ ही फार्म के अंदर ही वह किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं. इस तरह किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर श्रीनिवास आज डॉक्टरी के साथ-साथ ड्रैगन फ्रूट की खेती में भी महारत हासिल कर चुके हैं. अब उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की एक नई वैरायटी खुद विकसित की है.
इसे डॉ. श्रीनिवास ने डेक्कन पिंक नाम दिया है. यह किस्म सामान्य किस्मों की तुलना में 3 गुना तेजी से विकसित होकर बंपर उत्पादन देती है. उन्होंने साल 2017 में एक किसान उत्पादक संगठन डेक्कन एग्जॉटिक भी बनाया, जिसके जरिए वह आज भी किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. डॉक्टर श्रीनिवास माधवराम से इंस्पायर होकर ही बिहार के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने नौकरी छोड़ने के बाद ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. इस तरह मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर श्रीनिवास राव माधवराम आज किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन कर उभरे हैं.
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