सायबर तहसील के पायलट प्रोजेक्ट का इन्दौर जिले में अमल शुरू, सम्पदा साफ्टवेयर में किया नया प्रावधान
इन्दौर। शासन ने सायबर तहसील (Cyber Tehsil) का नया प्रयोग भी शुरू किया और इन्दौर सहित चार जिले पायलट प्रोजेक्ट (Four District Pilot Project) के तहत चयनित किए गए। पंजीयन विभाग के सम्पदा साफ्यवेयर में इस आशय के प्रावधान भी किए गए, जिसके चलते अविवादित कृषि जमीनों की रजिस्ट्रियों के साथ ही ऑटोमैटिक नामांतरण की प्रक्रिया भी पूरी हो जाती है। पिछले 6 माह में ही 3 हजार से ज्यादा कृषि जमीनों के नामांतरण इस प्रक्रिया के तहत आसानी से हो गए और जमीन मालिकों को तहसील कार्यालयों केचक्कर नहीं लगाना पड़े। भविष्य में सभी तरह के भूखंडों, मकानों, फ्लैटों सहित अन्य सम्पत्तियों के मामले में भी नामांतरण की इस तरह की सुविधा दी जाना है।
शिवराज कैबिनेट (Shivraj cabinet) ने कुछ समय पूर्व सायबर तहसील के प्रस्ताव को मंजूरी दी और यह भी दावा किया कि मप्र देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां पर अविवादित नामांतरण के प्रकरणों का तेजी से निराकरण इन सायबर तहसीलों के माध्यम से होगा, जिसमें क्रेता-विक्रेता को नामांतरण के लिए अलग से तहसील कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ेगी और जब रजिस्ट्री होगी, उसके साथ ही नामांतरण की प्रक्रिया भी सम्पदा पोर्टल के माध्यम से हो जाएगी। इन्दौर के वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि पिछले 6 माह के दौरान अविवादित कृषि जमीनों की 3296 रजिस्ट्रियों के साथ ही उनके नामांतरण भी हो गए। दरअसल इन्दौर, सागर, हरदा और डिण्डौरी में पिछले अक्टूबर माह से सायबर तहसील का यह पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसकी सफलता के बाद अब प्रदेश के सभी 52 जिलों में इसे लागू किया जाएगा। दरअसल पंजीयन विभाग के सम्पदा पोर्टल साथ राजस्व प्रकरण प्रबंधन सिस्टम यानी आरसीएमएस पोर्टल को भी जोड़ा है, जो कि लैंड रिकार्ड से संबंधित है। वरिष्ठ जिला पंजीयक डॉ. दीपक शर्मा के मुताबिक अभी जो अविवादित कृषि जमीनों के आटोमैटिक नामांतरण रजिस्ट्री प्रक्रिया के बाद हुए हैं, उनके लिए किसी भी क्रेता-विक्रेता को तहसील कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं पड़ी। दरअसल इसके लिए रजिस्टर्ड सम्पत्तियों की जियो टैगिंग प्रक्रिया भी की गई, जिसके चलते उन्हें एक यूनिक नंबर मिला, जिसके आधार पर नामांतरण की प्रक्रिया संपन्न हुई। हालांकि अभी इसी तर्ज पर अन्य सम्पत्तियों के नामांतरण की प्रक्रिया में समय लगेगा, जिनमें सभी तरह के छोटे-बड़े भूखण्डों से लेकर मकान, प्लैट या अन्य सम्पत्तियां शामिल हैं। दरअसल उसके लिए राजस् विभाग के साथ-साथ नगर निगम, नगर तथा ग्राम निवेश, पंचायत सहित प्रशासन के कालोनी सेल का रिकार्ड भी अपडेट और आनलाइन रहना जरूरी है।
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