नई दिल्ली । विश्व हिंदू परिषद (VHP) के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (Central Working President) आलोक कुमार (Alok Kumar) समाजवादी पार्टी (SP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की मान्यता वापस लेने (Withdrawal of Recognition) की मांग को लेकर (To Demand) मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) से मिलेंगे (Will Meet) ।
आलोक कुमार ने गुरुवार को कहा कि वीएचपी सीईसी का ध्यान जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए की ओर आकर्षित करना चाहती है, जिसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक पंजीकृत राजनीतिक दल के ज्ञापन में एक विशिष्ट प्रावधान हो कि पार्टी धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के सिद्धांतों सहित सच्ची आस्था और निष्ठा रखेगी।
सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा हाल ही में रामचरितमानस का अपमान करना और उनके पृष्ठों को जलाना भारत के नागरिकों के एक बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का जानबूझकर किया गया दुर्भावनापूर्ण काम है। उन्होंने कहा कि बयान देने के तुरंत बाद मौर्य को पार्टी के महासचिव के कार्यालय में पदोन्नत किया जाना साबित करता है कि उनके बयान को पूरी पार्टी का समर्थन प्राप्त है।
इसी तरह, राष्ट्रीय जनता दल के डॉ. चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले बयान और अन्य पवित्र ग्रंथों की उनकी जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण आलोचना आक्रोश पैदा करने और हिंदू समाज के विभिन्न वर्गो के बीच अविश्वास और विभाजन पैदा करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल ने उक्त व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे साबित होता है कि बयान को पार्टी का समर्थन प्राप्त है।
विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने उन बुनियादी शर्तो का उल्लंघन किया है जिनके आधार पर पार्टियों का पंजीकरण किया गया था और वे अपने पंजीकरण को वापस लेने के लिए उत्तरदायी हैं।
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