नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने उस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें दावा किया गया कि दिल्ली किराया नियंत्रण कानून (Rent Control Act -DRCA), 1958 के तहत कमर्शल प्रॉपर्टी से किराएदारों को निकालने का प्रावधान मकान मालिकों के प्रति भेदभाव से भरा है।
चीफ जस्टिस डीएन पटेल ((Chief Justice DN Patel ) और जस्टिस ज्योति सिंह (Justice Jyoti Singh) की बेंच ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर याचिका पर उसका रुख पूछा। इसमें कहा गया है कि कानून में कमर्शल प्रॉपर्टी से किराएदार को निकालने का प्रावधान नहीं है, जब ऐसे व्यक्ति के पास दूसरी कमर्शल प्रॉपर्टी भी हों। कानून के तहत मकान मालिक किराएदार (Landlord) को रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी (Residential Property) से हटने के लिए कह सकता है, बशर्ते किराएदार के पास वैकल्पिक आवास हो। दो भाइयों ने याचिका दायर कर कहा कि यह प्रावधान कमर्शल प्रॉपर्टी पर लागू नहीं होता है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अभिनव बेरी, शिवम खेड़ा और सत्यम खेड़ा पेश हुए। अडिशनल रेंट कंट्रोलर से राहत न मिलने के बाद भाइयों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दोनों भाइयों ने एक कमर्शल प्रॉपर्टी से किराएदार को हटाने की मांग की थी। दोनों भाई बिजनेस बढ़ाने के लिए अजमेरी गेट के पास अपनी दुकान के नजदीक स्थित एक दूसरी दुकान से किराएदारों को हटाना चाहते थे।
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