इंदौर (Indore)। बीते कई सालों से साकेत-मनीषपुरी की सडक़ बन ही नहीं सकी, क्योंकि बार-बार अलाइनमेंट बदलने के आरोप निगम से लेकर नगर तथा ग्राम निवेश पर लगते रहे हैं। हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट तक कई मर्तबा इस सडक़ का मामला पहुंच गया, लेकिन कोर्ट-कचहरी से भी कोई हल निकलता नहीं दिखता। कल जब निगम ने फिर अधूरी पड़ी इस सडक़ का निर्माण शुरू करवाया तो रहवासियों ने अलाइनमेंट बदलने के आरोप के साथ फिर हल्ला मचाया और काम रूकवा दिया। इस संबंध में रहवासियों ने एक बार फिर भाजपा नेता और बिल्डर-कालोनाइजर अशोक डागा को फायदा पहुंचाने के आरोप भी लगाए। दरअसल डागा के साथ-साथ अन्य रसूखदारों के हस्तक्षेप के चलते ही यह सडक़ नहीं बन सकी।
पहले मास्टर प्लान में यह सडक़ 80 फीट थी, जिसे भाजपा नेत्री के दबाव-प्रभाव के चलते 40 फीट कर दिया, ताकि डागा के बंगले चपेट में आने से बच सकें। वहीं अन्य रसूखदारों की भी बाउण्ड्रीवॉल से लेकर आगे की जमीन सडक़ निर्माण के लिए ली जाना है, जिसके चलते लगातार कोर्ट-कचहरी चलती रही। हर्ष नगर, टेलीफोन नगर और सेंचूरी स्टेट के रहवासियों का आरोप है कि पूर्व निगमयुक्त ने कोर्ट आदेश के मुताबिक जो अलाइनमेंट तय किया था, उसे फिर डागा के दबाव के चलते बदल दिया। जबकि पूर्व के अलाइनमेंट के चलते 105 पेड़ भी काट दिए थे। मगर अब उसे गलत बताते हुए हर्ष नगर और टेलीफोन नगर से चिपकाकर नगर निगम रोड बनाना चाहता है, ताकि डागा के बंगलों को बचाया जा सके। रहवासियों की मांग है कि रोड को 40 फीट बीचों बीच से बनाया जाना चाहिए। हर्ष नगर और टेलीफोन नगर के सामने 20 फीट छोडक़र 40 फीट की सडक़ बने, क्योंकि सामने की रोड के लिए नगर तथा ग्राम निवेश ने 100 फीट चौड़ाई के मान से भूमि 1979 में ही अधिग्रहित की थी। मगर अब निगम के अधिकारी कोर्ट के साथ-साथ अन्य कोई नियम कायदे नहीं मान रहे। अभी कल निगम ने जब सडक़ा निर्माण शुरू करवाया और स्लैब डालने के पतरे लगाए और सडक़ बनना शुरू हुई तो देर रात फिर रहवासियों ने विरोध किया और निर्माण रूकवा दिया।
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