पीलीभीत (यूपी) । इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने पीलीभीत में (In Pilibhit) वरिष्ठ वकील संतराम राठौड़ के खिलाफ (Senior Lawyer Santram Rathod) निरोधक आदेश (Restraining Order) जारी किया (Issued) । न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ के अनुसार आदेश में राठौड़ को अवमानना मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक जिला अदालतों के परिसर में प्रवेश करने और जिला जजशिप के भीतर प्रैक्टिस करने से रोका गया है।
पीलीभीत के न्यायिक इतिहास में यह पहला मामला है, जब हाईकोर्ट ने किसी वकील के खिलाफ इतना सख्त रुख अपनाया है। यह आदेश एक अदालती कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) 2, अभिनव तिवारी के खिलाफ राठौड़ के आरोपों से उपजा है, जहां उन्होंने अदालत के प्रति अधिक अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।
पीठ द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि 2009 के आपराधिक मामले संख्या 194 राज्य बनाम राज कुमार की कार्यवाही के दौरान, राठौड़ ने पीड़ित पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था। यह मामला दहेज मामले से संबंधित था। 12 जुलाई को आरोपी राज कुमार को दी गई जमानत को रद्द करने के लिए मामला एसीजेएम के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।
कार्यवाही के दौरान, राठौड़ क्रोधित हो गए और न्यायाधीश पर आरोपी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया। इसके अलावा, उन्होंने अदालत में खुले तौर पर घोषणा की कि उन्हें पहले भी अवमानना की कार्यवाही का सामना करना पड़ा है और उन्हें अपने खिलाफ इस तरह की किसी भी कार्रवाई की कोई परवाह नहीं है।
गौरतलब है कि उसी दिन एसीजेएम ने राठौड़ के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला जिला एवं सत्र न्यायाधीश को भेज दिया, जिन्होंने तुरंत अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए इसे 13 जुलाई को हाईकोर्ट में भेज दिया। इसके बाद, राठौड़ ने अवमानना संदर्भ वापस लेने के लिए एसीजेएम पर दबाव बनाने का प्रयास किया। आदेश के मुताबिक, उन्होंने कुछ महिला वकीलों और कानून की छात्राओं को अदालत के बाहर विरोध-प्रदर्शन करने और एसीजेएम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए उकसाया।
आख़िरकार, पीठ ने अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 2(सी) के तहत राठौड़ को नोटिस जारी किया। इसके अतिरिक्त, इसने उन्हें जिला अदालत परिसर में प्रवेश करने और मामले में अगली सूचना निर्धारित होने तक प्रैक्टिस करने से प्रतिबंधित कर दिया।
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