नई दिल्ली । उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने के बाद मची तबाही को देखते हुए तीनों सेनाओं ने अपने-अपने स्तर पर मोर्चा संभाल रखा है। सेना की टीम सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है। वायुसेना ने अपने परिवहन विमानों से एनडीआरएफ टीमों को मौके पर पहुंचाया है। इस हादसे में 3 पर्वतारोहियों के भी गायब होने की जानकारी मिलने पर वायुसेना ने सर्च ऑपरेशन चलाया है। सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सैन्य प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं।
वायुसेना प्रवक्ता के मुताबिक दो सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमानों से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की तीन कंपनियों को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस से 15 टन उपकरणों के साथ भेजा गया। पहला सी-130जे शाम करीब 6.30 बजे देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पर उतरा है और दूसरा जल्द ही उतर जाएगा। वायुसेना के सी-130जे और एएन-32 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से एनडीआरएफ की टीम को रेस्क्यू के लिए जॉलीग्रांट से एयर लिफ्ट करके मौके पर पहुंचाया गया है। बाढ़ के मद्देनजर बचाव कार्यों के लिए हवाई प्रयासों के समन्वय को लेकर वायुसेना ने टास्क फोर्स कमांडर के रूप में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पर एक एयर कमोडोर-रैंक अधिकारी को तैनात किया है।
वायुसेना के एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) और चीता हेलीकॉप्टर किसी भी तरह की सहायता के लिए तैयार रखे गये हैं। इस हादसे में 3 पर्वतारोहियों के भी गायब होने की जानकारी मिलने पर वायुसेना ने सर्च ऑपरेशन चलाया है लेकिन उनका पता नहीं चल पाया है। भारतीय नौसेना के अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड रिलीफ ऑपरेशन के लिए नौसेना के गोताखोरों की 9 टीमें स्टैंडबाय पर रखी गई हैं। नौसेना के मार्कोस कमांडो की 16 टीमें दिल्ली में और 40 मुंबई में स्टैंडबाय पर रखी गईं हैं। भारतीय सेना ने ऋषिकेश के निकट सैन्य स्टेशन सक्रिय करके अपने हेलीकॉप्टरों और सैनिकों को तैनात किया है। पूरे ऑपरेशन और बचाव कार्यों की निगरानी सेना मुख्यालय से की जा रही है। सेना की 6 टुकड़ियां उत्तराखंड में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की ओर रवाना की गई हैं। चमोली हादसे के दौरान टनल में कार्य कर रहे करीब 150 मजदूर फंस गये हैं जिन्हें सुरक्षित निकालने के लिए भारतीय सेना के जवान जुटे हैं। सेना ने उत्तराखंड सरकार और एनडीआरएफ की मदद के लिए चॉपर और सैनिकों को तैनात किया है। ऋषिकेश के पास स्थित मिलिट्री स्टेशन राहत एवं बचाव कार्य में कोऑर्डिनेट कर रहा है। सेना के प्रवक्ता ने बताया कि सेना के करीब 600 जवानों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में भेजा जा रहा है। सेना ने रैणी गांव में 4 कॉलम सैनिक, दो मेडिकल टीमें, एक इंजीनियरिंग टास्क फोर्स को तैनात किया है। गांव के पास ऋषि गंगा और धौली गंगा मिलती हैं, यहां पर 5-6 घर भी बह गए हैं। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) जोशीमठ-मलारिया हाई-वे पर एक ब्रिज का निर्माण कर रहा था लेकिन ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ में यह ब्रिज भी बह गया। उस वक्त यहीं पर 5 चरवाहे अपनी 180 भेड़ और बकरियों के साथ मौजूद थे जो सैलाब के साथ बह गए। सेना ने इलाके में रोशनी का इंतजाम भी किया है ताकि रातभर रेस्क्यू मिशन चलाया जा सके। सेना ने घायलों के इलाज के लिए फील्ड अस्पताल स्थापित किए हैं।भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने बताया कि नव-निर्मित रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान के बर्फ और हिमस्खलन विशेषज्ञों की एक टीम उत्तराखंड में तबाही का आकलन करने के लिए कल पहुंच जाएगी, जहां ग्लेशियर टूटने से बाढ़ जैसे हालात हैं। यह टीम स्थल के आसपास के ग्लेशियरों में स्थिति का आकलन करेगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ग्लेशियर टूटने से हुए नुकसान के बारे में मैं चमोली जिले के दृश्य देख रहा हूं। इस कठिन समय में हम त्रासदी से प्रभावित लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। रक्षा मंत्री ने बताया कि बचाव कार्यों में लगीं एजेंसियों की सहायता के लिए भारतीय सशस्त्र बल कार्रवाई में जुट गए हैं। औली से 22 ग्रेनेडियर्स की 2 कॉलम और जोशीमठ से दो कॉलम गढ़वाल स्काउट्स तैनात किए गए हैं। इसके अलावा 11 मद्रास की दो कॉलम स्टैंडबाय पर हैं। जोशीमठ में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। राहत एवं बचाव कार्यों के लिए सशस्त्र बलों के दो हेलीकॉप्टरों को बरेली से जोशीमठ ले जाया गया है। एजेंसी