नियामक आयोग के समक्ष दायर की याचिका मंजूर, 22 जनवरी तक दावे-आपत्तियां बुलवाई, 770 करोड़ की जरूरत इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी ने बताई
इंदौर। हर साल प्रदेश की तीनों बिजली कम्पनियां घाटे का हवाला देकर नियामक आयोग में याचिका दायर करती है और फिर दावे-आपत्तियों की सुनवाई की नौटंकी करने के बाद 3-4 फीसदी न्यूनतम बिजली की दरें बढ़ा ही देती हैं। उसके अलावा बीच में भी ये कम्पनियां अलग-अलग मदों के आधार पर वृद्धि अपने मनमाने तरीके से भी करती है। अभी इंदौर सहित प्रदेश की तीनों बिजली कम्पनियों ने 2046 करोड़ रुपए के घाटे का हवाला देकर आयोग के समक्ष 3.86 लगभग 4 फीसदी तक दर वृद्धि के प्रस्ताव सौंपे हैं।
मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने कम्पनियों की इस याचिकाओं को स्वीकार करते हुए अब 22 जनवरी क दावे-आपत्ति-सुझाव मांगे हैं और उसके बाद फिर इनकी सुनवाई की जाएगी। आयोग के समक्ष एमपी डिस्कॉम ने जो याचिका दायर की है उसमें बिजली के खुदरा विक्रय से 53 हजार 26 करोड़ रुपए के राजस्व का अनुमान लगाया है, जिसमें 2 हजार 46 करोड़ का अंतर माना गया है। यानी यह राशि घाटे की है, जिसकी पूर्ति बिजली महंगी कर की जाएगी, जिसके लिए 3.86 फीसदी कम से कम दर वृद्धि श्रेणी वार की जाना है, जिसमें घरेलू, वाणिज्यिक, कृषि से लेकर स्ट्रीट लाइट, औद्योगिक बिजली के साथ-साथ चार्जिंग स्टेशनों के लिए लागू दर भी बढ़ जाएगी। इसके अलावा रेलवे, शॉपिंग मॉल, खदानों के साथ-साथ उच्च दाब के संयंत्रों, थोक आवासीय उपयोगकर्ताओं के अलावा मेट्रो रेल के लिए जो बिजली दी जाती है उसकी दरों में भी इजाफा होगा। घरेलू श्रेणी में 300 यूनिट से ऊपर के स्लैब को हटाकर 151यूनिट से ऊपर किया जा रहा है, जिसके चलते छोटे बिजली कनेक्शन उपभोक्ताओं पर भी यह दर वृद्धि लागू होगी। मध्यप्रदेश में तीन बिजली कम्पनियां कार्यरत है, जिसमें पूर्व क्षेत्र, मध्य क्षेत्र और इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी शामिल है, जिसमें 572 करोड़ रुपए और अधिक राजस्व की जरूरत पूर्व क्षेत्र ने, तो 704 करोड़ की आवश्यकता मध्य क्षेत्र ने, तो इंदौर की कम्पनी ने 770 करोड़ रुपए का राजस्व अंतर यानी घाटा बताया है। अब संभवत: फरवरी से इंदौर सहित प्रदेशभर की बिजली महंगी हो जाएगी।
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