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इंदौर के सारे प्रतिनिधि झूठे साबित, मेट्रो के अंडरग्राउंड ट्रैक को मंजूरी देकर पलट गए, अफसरों ने विभागीय मंत्री को भी रखा अंधेरे में

22 अप्रैल 2023 को आईटी पार्क मेंहुई बैठक में मेट्रो कॉर्पोरेशन के अफसरों ने दिया था विस्तृत प्रजेंटेशन, मंत्री, सांसद, महापौर सहित सारे विधायक थे मौजूद, ताई ने भी घर बैठकर प्रोजेक्ट समझकर दी थी सहमति

इंदौर, राजेश ज्वेल
इंदौर (Indore ) के कई प्रोजेक्ट (project) जनप्रतिनिधियों (representatives ) के आपसी टकराव, अड़ंगेबाजी के चलते भी लेटलतीफी (lateness) का शिकार हुए हैं। शहर की काया पलट देने वाला अब तक का सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा मेट्रो (metro) प्रोजेक्ट भी इन जनप्रतिनिधियों की अदूरदर्शिता के चलते बेपटरी किया जा रहा है। केन्द्र की मोदी सरकार (modi government) द्वारा मंजूर साढ़े 32 किलोमीटर के इस मेट्रो प्रोजेक्ट में कई अड़ंगे डाले जाते रहे और अब जब 40 से 50 फीसदी काम हो गया तब नए सुझावों के साथ प्रोजेक्ट को ही फिजुल तक बताया जाने लगा। जबकि इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है जिसकी आबादी 1 करोड़ से कम होने के बावजूद उसे मेट्रो प्रोजेक्ट मिला।


अभी एमजी रोड से राजवाड़ा होते हुए बड़ा गणपति और एयरपोर्ट तक के 9 किलोमीटर के अंडरग्राउंड ट्रैक को ठंडे बस्ते में डालने के प्रयास हुए और विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को भी मेट्रो कॉर्पोरेशन के उन अधिकारियों ने अंधेरे में रखा जिन्होंने खुद १४ माह पहले 22 अप्रैल 2023 को आईटी पार्क में हुई बैठक में जनप्रतिनिधियों को अंडरग्राउंड ट्रैक का विस्तृत प्रजेंटेशन दिया था, जिसमें मंत्री तुलसीराम सिलावट से लेकर सांसद, महापौर सहित सारे विधायक मौजूद थे और सभी ने एकमत होकर इस ट्रैक पर सहमति जताई और यहां तक कि ताई ने भी उसी दिन अपने घर बैठकर अंडरग्राउंड ट्रैक को समझा और उन्होंने भी अपनी मंजूरी दे दी। जबकि अभी तीन दिन पहले हुई बैठक में ये सारे ही जनप्रतिनिधि अपने द्वारा दी गई सहमति से ही पलट गए। इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट पहले से ही लेटलतीफी का शिकार हो गया और पिछले साल भी अंडरग्राउंड ट्रैक को लेकर हल्ला मचा था, जिसकी शुरुआत इंदौर की पूर्व सांसद और लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ताई ने की थी, जिसके चलते मेट्रो कॉर्पोरेशन ने टेंडर सहित अन्य प्रक्रिया रोक दी थी और फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर ताई सहित सभी जनप्रतिनिधियों को अंडरग्राउंड ट्रैक की तकनीकी जानकारी देने का निर्णय लिया और तत्कालीन एमडी मनीष सिंह सहित अन्य अधिकारी ताई के घर भी गए और विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए अंडरग्राउंड ट्रैक की जानकारी दी, जिस पर ताई ने अपनी सहमति दे दी। उसी दिन यानी 22 अप्रैल 2023 को खंडवा रोड स्थित अतुल्य आईटी पार्क के कॉन्फ्रेंस हॉल में महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, तत्कालीन प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा, तत्कालीन उपाध्यक्ष और वर्तमान विधायक गोलू शुक्ला, सावन सोनकर, विधायक रमेश मेंदोला, श्रीमती मालिनी गौड़, महेन्द्र हार्डिया, मनोज पटेल, मधु वर्मा और तत्कालीन विधायक आकाश विजयवर्गीय के अलावा शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे सहित अन्य जनप्रतिनिधि और तत्कालीन कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी के साथ दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के विशेषज्ञ भी मौजूद थे। सभी ने प्रजेंटेशन देखने के बाद उसी ट्रैक को मंजूरी दी, जिसका विरोध अभी १७ जून को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में बुलाई गई बैठक में कर दिया। गलती मेट्रो कॉर्पोरेशन के अफसरों की भी है, जिन्होंने बैठक से पहले विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को इस संबंध में वस्तुस्थिति से अवगत नहीं कराया।

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