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    रामबाई के सारे जतन फेल

  • January 10, 2021

    • कोर्ट ने पति को फिर बनाया हत्यारोपी, गिरफ्तारी वारंट जारी किया

    भोपाल। दमोह जिले की पथरिया से बसपा विधायक रामबाई द्वारा अपने पति को कांगे्रस नेता देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड से बचाने के लिए किए गए अभी तक के सारे जतन फेल हो गए हैं। कोर्ट ने गोविंद सिंह को फिर से हत्यारोपी बनाने के आदेश दिए हैं और खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है और 21 जनवरी तक पेश होने को कहा है। कोर्ट ने पुलिस मुख्यालय को भी कार्रवाई के लिए लिखा है। गिरफ्तारी वारंट जारी होने से पहले ही गोविंद सिंह गायब हो गए हैं। कमलनाथ सरकार में 18 माह पहले गोविंद सिंह के खिलाफ साक्ष्य न होने पर एफआईआर से नाम हटा दिया गया था, तब पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठे थे। मगर फरियादी पक्ष ने कोर्ट में पुख्ता गवाही और साक्ष्य पेश किए तो कोर्ट ने दोबारा आरोपी बनाने और पुलिस अधीक्षक को गिरफ्तारी वारंट की तामीली कराकर आरोपी को न्यायालय में पेश कराने का आदेश दिया है। बताया जाता है कि गोविंद सिंह को गिरफ्तारी वारंट जारी होने का अंदाजा लग गया था। इसके बाद वे फरार हो गए हैं।

    जाएंगे हाई कोर्ट: रामबाई
    इस मामले में पथरिया विधायक रामबाई का कहना है कि मुझे न्याय की लड़़ाई लडऩी है। कोर्ट के फैसले का सम्मान करती हूं, हटा न्यायालय के वारंट को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। कोर्ट ने अपना काम किया है।

    किसी को बनाया भैया, किसी को जीजा
    पति को हत्याकांड से बचाने के लिए रामबाई ने अपने राजनीतिक रसूख का जमकर उपयोग किया। अल्पमत के चलते कमलनाथ सरकार पर दबाव डालकर पति को पुलिस जांच में साक्ष्यों के अभाव में एफआईआर से नाम हटवाया था। तब रामबाई ने कमलनाथ को भैया बनाया। जब सरकार बदली को रामबाई ने भी पलड़ा बदल लिया। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी भैया बना लिया। साथ ही गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा एवं नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह को जीजा बना लिया। हालांकि कांग्रेेस सरकार की तरह रामबाई भाजपा सरकार पर दबाव नहीं डाल पाई।

    पीएचक्यू को भी नोटिस
    एडीजे कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को भी इस मामले में आदेशित किया है कि हत्याकांड की एफआईआर से हत्यारोपी गोविंद सिंह का नाम हटाने वाले अफसरों पर कार्रवाई की जाए। उल्लेखनीय है आरोपियों में गोविंद सिंह का नाम भी शामिल था। उन पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था। इसके बाद पुलिस ने 173/8 के तहत 21 जुलाई 19 को राहत दे दी थी और साक्ष्यों के अभाव में गोविंद का नाम एफआईआर से हटा दिया।

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