नई दिल्ली (New Dehli)। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि (Tamil Nadu Governor RN Ravi)ने भारत को मिली आजादी का श्रेय नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose)को दिया है। उनका कहना है कि अंग्रेजों के भारत छोड़कर जाने का श्रेय बोस कांग्रेस या महात्मा गांधी नहीं, बल्कि बोस को मिलना चाहिए। मंगलवार को बोस की 127वीं जयंती मनाई गई। साथ ही राज्यपाल ने यह भी कहा कि भारत से अंग्रेजों के जाने के बाद भी ऐसी व्यवस्थाएं थी, जिनके चलते भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत को नजरअंदाज किया गया।
राज्यपाल रवि ने दावा किया कि 1942 के बाद महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन ‘बहुत प्रभावी’ नहीं था। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का असहयोग आंदोलन ‘असफल’ हो गया था।
यहां अन्ना विश्वविद्यालय में पराक्रम दिवस के तौर पर मनाई गई बोस की 127वीं जयंती के अवसर पर रवि ने कहा, ‘महात्मा गांधी के स्वतंत्रता आंदोलन का अंग्रेजों पर प्रभाव ‘न्यूनतम’ था। इसे एटली ने स्वीकार किया था (पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता देने के निर्णय पर हस्ताक्षर किए थे)।’
कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा, ‘मैं कहूंगा कि यदि नेता जी नहीं होते तो भारत 1947 में आजाद नहीं होता क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का असहयोग आंदोलन विफल हो गया जबकि 1942 के बाद महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन प्रभावकारी नहीं था।’ दूसरी ओर, मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग एक अलग देश के लिए लड़ रही थी।
उन्होंने कहा, ‘हम विभाजित थे और अंग्रेज इसका आनंद ले रहे थे क्योंकि 1942 के बाद भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ कोई सार्थक प्रतिरोध नहीं था।’ रवि ने कहा कि बोस के सैन्य प्रतिरोध के अलावा अंग्रेजों को भारत में रहने में कोई समस्या नहीं थी। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष के.एस. अलागिरी और वाम दलों ने स्वतंत्रता संग्राम में गांधी की भूमिका को कमतर आंकने के लिए राज्यपाल की आलोचना की।
कैसे आजाद हुआ भारत
राज्यपाल ने कहा कि नौसेना और वायुसेना के विद्रोह के बाद भारत में अंग्रेज डरने लगे थे और इसके चलते ही उन्होंने यह फैसला लिया। रवि ने बताया, ‘जब मैंने इसे पढ़ा, तो सोचा कि मुझे इसके बारे में और जानना चाहिए। इंटेलीजेंस ब्यूरो में काफी समय बिताने के बाद मैंने 1946 के फरवरी से मार्च के आर्काइव डेटा का अध्ययन किया।
उन्होंने बताया, ‘मैं भारत से ब्रिटेन भेजी गई चीजों को देखकर हैरान था। हर दिन एक डराने वाली रिपोर्ट लेकर आ रहा था। तब के सेंट्रल इंटेलीजेंस ने बताया कि कभी भी कुछ भी हो सकता है। उन्हें एहसास हो गया था कि भारतीय सेना के अलावा भारतीय पुलिस का भी भरोसा नहीं किया जा सकता था। इस विद्रोह के एक महीने बाद ही उन्होंने तय कर लिया था कि भारत को आजाद कर देंगे। यह नेताजी के किए कामों का नतीजा था।
राज्यपाल ने इस अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) के सैनिकों को सम्मानित किया। रवि ने राष्ट्रीय हित में नेताजी पर विस्तृत शोध का आह्वान किया, क्योंकि उनके काम को पर्याप्त रूप से न तो लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया था और न ही पर्याप्त रूप से समझा गया। उन्होंने कहा कि निष्कर्षों को बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए।
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