पांच बच्चों की मौत में भी आश्रम कर्ताधर्ताओं की लापरवाही आई सामने, कलेक्टर बोले – जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर करेंगे कड़ी कार्रवाई, फिलहाल 38 बच्चे उपचाररत, सुबह किया दौरा भी
इंदौर। आए दिन बाल, वृद्धाश्रम (Children, old age home) सहित अन्य संस्थाओं में लापरवाही की खबरें मिलती हैं। अभी युग पुरुषधाम आश्रम (Yuga Purushadham Ashram) में मानसिक दिव्यांग बच्चों के साथ जो हादसा हुआ और पांच बच्चों की मौत भी हो गई और 38 बच्चे उपचाररत हैं। आज सुबह आशीष सिंह चाचा नेहरू अस्पताल (Chacha Nehru Hospital) और आश्रम पुन: पहुंचे। उनके मुताबिक जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रथम दृष्ट्या ही लापरवाही लग रही है, क्योंकि समय पर बच्चों के बीमार होने की सूचना नहीं दी गई। इसके साथ ही इंदौर में चल रहे इस तरह के सभी निजी, सरकारी आश्रमों की जांच भी कराई जाएगी और यह भी पता लगाएंगे कि जो लाखों-करोड़ों रुपए का फंड इन संस्थाओं को मिलता है उसका इस्तेमाल किस तरह किया जाता है और उनकी ऑडिट रिपोर्ट क्या है।
कल उस वक्त इंदौर से भोपाल तक हडक़म्प मच गया जब युग पुरुषधाम आश्रम में भर्ती मानसिक दिव्यांग बच्चों की मौत और बीमारी की खबरें तेजी से वायरल हुई और फिर रात को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी अपने एक्स क्विटर हैंडल पर बयान दिया, जिसमें एसडीएम ओमनारायण बडक़ुल को हटाए जाने की जानकारी भी थी। दरअसल आश्रम पहुंचे एसडीएम ठहाके लगाकर हंसते नजर आए और उनका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब चला। कलेक्टर ने तुरंत ही उन्हें हटा दिया और निर्वाचन में अटैच करते हुए एसडीएम डॉ. निधि वर्मा को जिम्मेदारी सौंपी। कल रात मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी भर्ती बच्चों की जानकारी लेने अस्पताल पहुंचे। वहीं आज सुबह तुलसीराम सिलावट सहित शहरकांग्रेस अध्यक्ष सुरजीतसिंह चड्ढा सहित अन्य भी आए। कलेक्टर आशीष सिंह ने सुबह दौरा करने के बाद बताया कि कल रात 7 बच्चों में उल्टी-दस्तव अन्य लक्षण पाए जाने पर भर्ती किया गया था। फिलहाल 38 बच्चों का इलाज चल रहा है और डॉक्टरों की पूरी टीम लगी है। साथ ही आश्रम में भी मौजूद बच्चों के पीने के पानी, खाने की व्यवस्था अलग से कराई जा रही है। फिलहाल आश्रम के किचन को बंद करवा दिया है। विसरा रिपोर्ट में अवश्य टाइम लगेगा, लेकिन अन्य जो नमूने लिए हैं उनकी रिपोर्ट आज-कल में प्राप्त होगी। अभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि फूड पाइजनिंग से ही ये बच्चे बीमार हुए हैं। एक संभावना कालरा की भी बताई जा रही है। दूसरी तरफ कलेक्टर ने इस माले में जांच समिति का गठन भी कर दिया है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही जिले में जितने भी इस तरह के बाल-वृद्धाश्रम, मूकबधिर संस्थाएं चल रही हैं उ न सभी की भी जांच कराई जा रही है। दरअसल शासन से भी इन सभी आश्रमों को लाखों रुपए का फंड मिलता है। युग पुरुष धाम आश्रम को भी लगभग 70 लाख रुपए का फंड मिलने की बात सामने आई है और एनजीओ, दानदाताओं से लेकर अन्य सामाजिक, धार्मिक संगठनों से भी समय-समय पर मदद मिलती है। इस आश्रम में भी मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को ही चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति द्वारा रखवाया जाता था। कलेक्टर ने जो उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की है, उसमें अपर कलेक्टर गौरव बेनल, संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास डॉ. संध्या व्यास, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय की अधीक्षक डॉ. प्रीति मालपानी और डॉ. श्री लेखा को भी शामिल किया गया है।
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