आज लगने जा रही आचार संहिता के पहले नगर तथा ग्राम निवेश ने ताबड़तोड़ जारी किए नोटिफिकेशन, सडक़ चौड़ाई से दोगुनी गहराई तक टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए अतिरिक्त आधा एफएआर और कर सकेंगेउपयोग
इंदौर, राजेश ज्वेल। पिछले दिनों सम्पूर्ण निगम क्षेत्र को टीडीआर (TDR) के लिए रीसिविंग एरिया (receiving area) घोषित करते हुए दावे-आपत्तियां बुलवाई थी, जिसकी प्रक्रिया पूरी हो गई है। 281 वर्ग किलोमीटर का एरिया, जो कि लगभग 70 हजार एकड़ होता है, उसमें 24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी जितनी भी सडक़ें हैं सभी को टीडीआर के लिए जनरेटिंग एरिया घोषित किया है, तो दूसरी तरफ उसके साथ ही 24 मीटर या उससे अधिक की सडक़ों की गहराई तक के क्षेत्र में आने वाली जमीनों को रीसिविंग एरिया के रूप में मान्य किया गया है। आज दोपहर 3 बजे से लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ आचार संहिता लागू हो जाएगी। लिहाजा ताबड़तोड़ संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश ने टीडीआर से संबंधित नोटिफिकेशन ताबड़तोड़ जारी कर दिए। इंदौर के साथ-साथ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) के गृह जिले उज्जैन के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई गई है।
बीते कई समय से टीडीआर पॉलिसी को अमल में लाने की कवायद चल रही है। हालांकि अभी भी रीसिविंग एरिया में टीडीआर सर्टिफिकेट का बेहतर इस्तेमाल हो सके उसके लिए ग्राउंड कवरेज 50 फीसदी और फिक्स एमओएस के साथ मैकेनाइज्ड पार्किंग की अनुमति जैसे कुछ प्रावधानों में संशोधन शेष हैं, क्योंकि उसके बिना अतिरिक्त एफएआर के लिए कोई भी टीडीआर सर्टिफिकेट नहीं खरीदेगा, क्योंकि अभी इन विसंगतिपूर्ण प्रावधानों के चलते मास्टर प्लान में मान्य दो एफएआर भी पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हो पाता है। अभी नगर तथा ग्राम निवेश ने टीडीआर सर्टिफिकेट के बदले मास्टर प्लान में जो निर्धारित एफएआर है उसके अलावा .5 यानी आधा एफएआर और अतिरिक्त इस्तेमाल करने देने का निर्णय लिया है। इसका मतलब यह हुआ कि आज अगर इंदौर के मास्टर प्लान में आवासीय जमीनों पर सवा और डेढ़ एफएआर मिलता है, तो अब उसके अलावा आधा एफएआर और टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए खरीदकर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसी तरह व्यवसायिक जमीनों पर दो एफएआर मिलता है, तो वहां पर भी आधा एफएआर और अतिरिक्त टीडीआर के जरिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। इंदौर में बीआरटीएस कॉरिडोर से लेकर नगर निगम ने मध्य क्षेत्र में मास्टर प्लान की कई सडक़ों को चौड़ा किया है और बड़े पैमाने पर मकानों और दुकानों को तोड़ा गया और बदले में किसी को भी नकद मुआवजा नहीं दिया और सिर्फ टीडीआर सर्टिफिकेट जारी किए हैं। अब इन सर्टिफिकेट को बिल्डर-कालोनाइजरों या अन्य लोगों को घोषित किए गए रीसिविंग एरिया के लिए बेचा जा सकेगा। नगर तथा ग्राम निवेश ने ताबड़तोड़ टीडीआर पॉलिसी को लागू करने के लिए जनरेटिंग और रीसिविंग एरिया को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, जिसमें इंदौर के मास्टर प्लान में दर्शाई गई 24 मीटर या उससे अधिक सभी चौड़ी सडक़ों में आने वाली जमीनों के खसरे या उसके भाग को उत्पादन क्षेत्र यानी जनरेटिंग माना जाएगा। इसी तरह 24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सडक़ों की दो गुनी गहराई यानी 48 मीटर या उससे अधिक के क्षेत्र में आने वाली सभी जमीनों या उसके भाग को प्राप्ति क्षेत्र यानी रीसिविंग झोन माना जाएगा। इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन पर संचालनालय ने 15 दिन में दावे-आपत्ति और सुझाव आमंत्रित किए हैं। अब यह प्रक्रिया आचार संहिता में भी जारी रह सकेगी। पिछले दिनों टीडीआर के साथ-साथ मेट्रो के लिए टीओडी पॉलिसी को भी अमल में लाने की कवायद शुरू की गई है।
70 एकड़ रेवती क्षेत्र की जमीनों का उपयोग बदलने का बड़ा खेल भी
एक तरफ इंदौर के मास्टर प्लान 2041 की कवायद चल रही है, तो दूसरी तरफ निजी जमीनों के भू-उपयोग परिवर्तन के भी खेल जारी हैं। प्राधिकरण जैसी संस्था को भले ही शासन भू-उपयोग परिवर्तन की मंजूरी ना दे, मगर रसूखदारों की जमीनों के लिए ताबड़तोड़ सूचनाएं प्रकाशित की जा रही है। आज दोपहर आचार संहिता लगना है और उसके पहले संचालनालय नगर तथा ग्राम निवेश ने इंदौर के रेवती क्षेत्र में लगभग 70 एकड़ जमीनों के भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया की अधिसूचना जारी कर दी। खसरा 101/1, 91/2/2, 95, 96, 69, 70 सहित अन्य खसरा नम्बरों की 18.0150 हेक्टेयर के अलावा खसरा नंबर 23/1/2/2 और 24, 25, 26 व अन्य खसरा नंबरों की 9.431 हेक्टेयर जमीनें कृषि से आवासीय की जाएंगी।
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