इंदौर। नगर निगम चुनाव (municipal elections) संपन्न होने के बाद अब एक ही चर्चा जोरों पर है कि इस बार नगर निगम में सभापति कौन होगा और कौन-से ऐसे चेहरे होंगे जो महापौर परिषद (Mayor’s Council) में शामिल किए जाएंगे। वैसे यह तो तय है कि राजेन्द्र राठौर या अश्विन शुक्ला को एमआईसी में लिया जाता है तो ये अकेले ही पुराने और अनुभवी चेहरे होंगे, जो परिषद में लिए जाएंगे। वहीं मुन्नालाल यादव को सभापति बनाए जाने की चर्चा जोरों पर है। इस बार कई नए चेहरों को एमआईसी में बड़ी जवाबदारी दी जा सकती है।
महापौर परिषद में युवा चेहरों को कमान दी जाएगी, इसको लेकर अभी वरिष्ठ नेता कुछ नहीं कह रहे हैं, लेकिन जिस तरह से पुष्यमित्र भार्गव युवा महापौर हैं तो उनका साथ देने के लिए युवा चेहरों को ही तवज्जो दी जा सकती है, ताकि वे अपने एमआईसी मेम्बर से सामंजस्य बिठा सके। संगठन को इसकी भी चिंता है कि अगर उनसे अधिक उम्र के पार्षदों को एमआईसी में लिया जाता है तो कहीं ऐसा न हो कि वे महापौर पर हावी हो जाए। चूंकि इंदौर स्मार्ट सिटी में शामिल हैं और आने वाले समय में इंदौर में कई नए प्रोजेक्ट भी शुरू होना है, इसको लेकर भी सामंजस्य बिठाकर काम कराना एक चुनौती ही होगा। फिलहाल एमआईसी के पुराने चेहरों को या तो टिकट नहीं दिया गया और दिया भी गया तो वे चुनाव हार गए।
इसमें संतोष गौर जैसे एक नंबर के दिग्गज पार्षद भी थे, जिन्हें विनीतिका यादव ने हरा दिया। अब एमआईसी में एक नंबर से अश्विन शुक्ला को छोड़ दिया जाए तो सभी नए नाम होंगे। यहां से संघ और संगठन के नजदीकी कमल बाघेला का नाम सभापति के लिए आगे किया जा सकता है। उनके अनुभव का लाभ पार्टी ले सकती है। बाघेला यूं भी किसी गुट से नहीं बंधे हैं, इसलिए उनके नाम पर आपत्ति नहीं होगी। दो नंबर से राजेन्द्र राठौर का एमआईसी में आना तय है। यहां से मुन्नालाल यादव को सभापति बनाने पर जोर दिया जा रहा है, क्योंकि वे 5 बार के पार्षद रह चुके हंै और यह उनका छठां कार्यकाल है। तीन नंबर में सभी नए चेहरे हैं और चार नंबर में भी करीब यही हाल है।
पांच नंबर में राजेश उदावत का नाम भी सभापति के रूप में सामने आ सकता है। हालांकि उदावत शुरू से ही पांच नंबर विधानसभा की राजनीति करते आए हैं। उनके नाम को लेकर जरूर आपत्ति आ सकती है। राऊ से ऐसा कोई नाम नहीं है, जिसे सभापति के रूप में लिया जा सके। यहां से ओपी आर्य को जरूर वरिष्ठता के नाते एमआईसी में लिया जा सकता है। एमआईसी में सदस्यों में तीन और राऊ विधानसभा को एक-एक पद दिया जा सकता है, क्योंकि दोनों ही विधानसभा छोटी हैं और यहां से दावेदार भी कम हैं। एमआईसी सदस्यों को लेकर संगठन अभी कुछ स्पष्ट नहीं कह रहा है, लेकिन अपने समर्थकों को एमआईसी में उपकृत कराने के चक्कर में कई नेताओं ने बड़े नेताओं को नाम भिजवाना शुरू कर दिए हैं।
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