नई दिल्ली (New Delhi)। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) परिणाम 4 जून को सभी के सामने आ चुके है। इन चुनाव में जनता ने किसी भी पार्टी को बहुत नहीं दिया है, हालांकि मतगणना से पहले, इंडिया गठबंधन (india alliance) इस बारे में बात करता रहा कि बीजेपी (BJP) के लिए 2024 के चुनावी नतीजे ‘इंडिया शाइनिंग’ पल कैसे साबित होंगे. क्योंकि इस बार के एग्जिट पोल और चुनावी नतीजे भी आज से 20 साल पहले 2004 का इतिहास दोहराते नजर आए हैं.
इस बार मोदी सरकार ने अपने लिए “370-प्लस” और एनडीए के लिए “400 पार” का अनुमान लगाया था, लेकिन नतीजे इसके उलट आए. भाजपा केवल 240 सीट और एनडीए 293 सीट ही जीत सकी. हालांकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए फिर से सरकार बनाने जा रहा है, लेकिन उस जोश के साथ नहीं जिसका अनुमान लगाए बैठे थे.
2004 में क्या हुआ?
2004 के लोकसभा चुनाव से पहले देश के वीर सैनिकों ने कारगिल युद्ध जीता था. इतना ही नहीं 2003 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद- जीडीपी ग्रोथ रेट 8.4 प्रतिशत थी. सुरक्षा और आर्थिक मोर्चे के दोनों ही घटनाओं के चलते वाजपेयी सरकार की लोकप्रियता चरम पर थी. एक तरफ जहां देश की सीमाएं अधिक सुरक्षित हो रही थीं, वहीं देश का खजाने में विदेशी भंडार लगातार बढ़ रहा था. विपक्ष लगातार ढह रहा था. उस समय 2003 में कांग्रेस राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हार गई थी. कमजोर होते विपक्ष और सरकार की बढ़ती लोकप्रियता को भुनाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने 6 महीने पहले ही फरवरी 2004 को लोकसभा भंग कर दी थी.
इसके बाद भाजपा ने ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान चलाया, जिसमें खुद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक रिकॉर्ड किया गया संदेश शामिल था – “मैं अटल बिहारी वाजपेई बोल रहा हूं … “
उस समय अटल बिहारी वाजपेयी का ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान आज की मोदी-शाह वाली भाजपा के अभियान “अबकी बार, मोदी सरकार” के समान ही था.
5 एग्जिट पोल ने एनडीए को 240 से 278 सीट मिलने का अनुमान जाहिर किया था. यूपीए के बारे में कहा गया कि विपक्षी गठबंधन 176 से 198 सीटों पर ही सिमट सकता है.
लेकिन जब रिजल्ट आया तो बीजेपी वाले एनडीए के हिस्से में 181 सीटें आईं और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन ने 218 सीटों पर जीत हासिल की. इस चुनाव में बीजेपी ने 22.16 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 138 सीटें जीतीं. इसके इतर कांग्रेस ने 26.53 प्रतिशत वोट प्रतिशत के साथ 145 सीटें जीतीं. सीपीआई-एम और सीपीआई को 53 सीटों पर जीत हासिल हुई.
कांग्रेस के प्रमुख सहयोगियों में वामपंथी दल, राष्ट्रीय जनता दल, द्रमुक और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी थे, जबकि भाजपा ने जनता दल (यू), तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) पर भरोसा किया. इस बार भी पक्ष और विपक्ष के गठबंधन में लगभग इन्हीं दलों का गठजोड़ है.
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