भोपाल। प्रदेश सरकार पर भाजपा और कांग्रेस विधायकों के बीच क्षेत्र में विकास कार्यों के प्रस्तावों में भेदभाव के आरोप लगाते हुए सारे के सारे कांग्रेस विधायकों ने वेतन छोडऩे का ऐलान कर दिया। प्रदेश में ऐसी स्थिति पहली बार निर्मित हुई है, जब संपूर्ण विपक्ष द्वारा इस तरह का निर्णय लिया गया हो। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधायक दल के इस निर्णय की सूचना पटल पर रखी। उमंग सिंघार ने बताया कि प्रदेश सरकार विपक्ष के सदस्यों के साथ भेदभाव कर रही है।
उनके क्षेत्र को न तो सडक़ विकास के लिए राशि दी जा रही है और न ही स्कूल भवन, सामुदायिक भवन सहित अन्य विकास कार्यों के लिए कोई राशि मिल रही है, जबकि भाजपा विधायकों के क्षेत्र में 15-15 करोड़ रुपए के काम कराए जा रहे हैं। इसके लिए एक-एक विधायक से बाकायदा प्रस्ताव लिए गए, जबकि कांग्रेस के विधायकों से कोई प्रस्ताव नहीं लिया गया। विधायक विकास के प्रस्ताव देते भी हैं तो सरकार में कोई सुनवाई नहीं होती है।
इससे जनहित के काम प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए विधायक दल ने निर्णय लिया है कि बतौर विधायक मिलने वाला वेतन नहीं लेंगे। कांग्रेस विधायक दल ने राज्य सरकार से मांग की कि इस राशि को कोषालय में जमा करके ही विकास कार्य करवा दिए जाएं। उल्लेखनीय है कि मप्र में विधायक को वेतन-भत्ता मिलाकर प्रतिमाह एक लाख 10 हजार रुपए मिलते हैं। विधानसभा में बीना विधायक निर्मला सप्रे समेत कांग्रेस विधायकों की संख्या 65 है।
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