नई दिल्ली: इनकम टैक्स विभाग अब करदाताओं की हर गतिविधि पर नजर रखने लगा है. इसमें खर्च और ट्रांजेक्शन से जुड़े आंकड़े भी शामिल हैं. अगर निर्धारित सीमा से ज्यादा लेनदेन किया गया है और उसका खुलासा अपने आयकर रिटर्न यानी आईटीआर (ITR) फाइलिंग में नहीं करते तो विभाग की ओर से आपको नोटिस आ सकता है.
आयकर विभाग ने इस तरह के लेनदेन पर नजर रखने के लिए तमाम सरकारी एजेंसियों और वित्तीय संस्थाओं से करार किया है. करदाताओं को किसी असुविधा से बचाने के लिए विभाग लगातार इसे लेकर जागरुकता अभियान भी चला रहा है. ऐसे में जरूरी है कि आपको इन लेनदेन की जानकारी होनी चाहिए, ताकि इनकम टैक्स की नोटिस से बचा जा सके. इनकम टैक्स विभाग की मुख्य रूप से छह तरह के लेनदेन पर नजर रहती है.
1- बचत और चालू खाते में जमा-निकासी : आयकर विभाग का कहना है कि करदाताओं को अपने बचत और चालू खाते में सालाना निर्धारित सीमा से ज्यादा के लेनदेन की जानकारी देनी होगी. इसके तहत बचत खाते में एक वित्तवर्ष में 10 लाख रुपये से ज्यादा के जमा या निकासी की जानकारी देना जरूरी है, जबकि चालू खाते के मामले में यह रकम 50 लाख रुपये होगी.
2- बैंक में जमा एफडी : अगर आपने एक वित्तवर्ष के दौरान बैंक में 10 लाख रुपये से ज्यादा की एफडी कराई है तो आयकर विभाग आपको नोटिस जारी कर सकता है. बैंक की ओर से इसकी जानकारी आयकर विभाग के फॉर्म 61ए के जरिये दी जाती है. यह रकम चाहे एक ही एफडी की हो या कई एफडी मिलाकर, आपको जानकारी देना जरूरी होगा.
3- क्रेडिट कार्ड का बिल : अगर आपके क्रेडिट कार्ड का बिल 1 लाख रुपये से ज्यादा आया है तो इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी देनी होगी. इसके अलावा अगर क्रेडिट कार्ड का सेटलमेंट 10 लाख रुपये से ज्यादा का रहा तो इसकी जानकारी भी विभाग तक पहुंचाना जरूरी है, नहीं तो आपको नोटिस मिल सकता है.
4- अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री : देशभर के रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को 30 लाख रुपये से ज्यादा की अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री की जानकारी आयकर विभाग को देना जरूरी है. आईटीआर में भी इसका खुलासा नहीं किया तो नोटिस आ सकता है.
5- शेयर, एमएफ, बांड से जुड़ा लेनदेन : किसी एक वित्तवर्ष के दौरान अगर म्यूचुअल फंड, स्टॉक्स, बॉन्ड और डिबेंचर में निवेश की सीमा 10 लाख रुपये से अधिक होती है तो इसका खुलासा करना भी जरूरी है. इस तरह के लेनदेन की जानकारी एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न स्टेटमेंट में रहती है. आपके फॉर्म 26एएस के पार्ट ई में इन सभी लेनदेन से जुड़ी जानकारियां रहती हैं.
6- विदेशी मुद्रा की बिक्री : अगर आप एक वित्तवर्ष के दौरान 10 लाख रुपये से ज्यादा की फॉरेन करंसी की सेल करते हैं तो भी इनकम टैक्स विभाग के निशाने पर होंगे और इसकी जानकारी आपको आईटी को देनी चाहिए.
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