नई दिल्ली। भारत (India) से जंग के मैदान की दूरी करीब 4 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा है, लेकिन जंग का असर यहां तक दिख रहा है। दिल्ली, मुंबई, हिमाचल, राजस्थान (Delhi, Mumbai, Himachal, Rajasthan) समेत देश के कई राज्यों में अलर्ट है और यहूदी समुदाय से जुड़े स्मारकों एवं अन्य स्थानों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। दिल्ली पुलिस इजरायल के दूतावास और राजनयिकों की कड़ी सुरक्षा में जुटी है। इसके अलावा पहाड़गंज के चाबड़ हाउस पर भी पुलिस मुस्तैद है, जहां बड़ी संख्या में यहूदी आते हैं। यही नहीं इजरायली पर्यटकों की बड़ी संख्या हिमाचल प्रदेश, गोवा, मुंबई और राजस्थान के पुष्कर में भी जाती है।
ऐसे में इन इलाकों में भी पुलिस को अलर्ट किया गया है। यहूदी समुदाय के लोग और उनसे जुड़े स्मारकों पर हमले का अंदेशा है। हिमाचल के मनाली और धर्मशाला में यहूदी ठिकानों की सुरक्षा मजबूत की गई है। इसके अलावा मुंबई में भी प्रशासन अलर्ट पर है। इसके अलावा भारत में यहूदी समुदाय से जुड़े लोगों के निजी संस्थानों को भी पर्याप्त सिक्योरिटी दी गई है। हालांकि बड़ी संख्या में इजरायली युद्ध छिड़ने के बाद से अपने देश लौट गए हैं। इसकी वजह यह है कि इजरायल में आम नागरिकों को भी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है और वे रिजर्व सैनिक की कैटिगरी में आते हैं।
यही वजह है कि युद्ध के तुरंत बाद भारत, अमेरिका, ब्रिटेन (India, America, Britain) समेत कई देशों में रह रहे इजरायली स्वदेश लौटे हैं। भारत की मुस्तैदी इसलिए भी है क्योंकि 2012 में एक इजरायली राजनयिक पर दिल्ली में ही हमला हो गया था। दिल्ली पुलिस की जांच में पता चला था कि इस अटैक के पीछे ईरान की सेना का हाथ था। मुंबई में यहूदी समुदाय के लोगों की आबादी ठीक-ठाक है। इसलिए पुलिस ने उनके स्मारकों और ठिकानों के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी है। पेट्रोलिंग की जा रही है और आने-वाले लोगों की भी निगरानी हो रही है।
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