वाशिंगटन। अलकायदा के सहायक और अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी गिरोह एक्यूआईएस की नजरें भारत पर हैं। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ताजा रिपोर्ट में चेताते हुए बताया, एक्यूआईएस ने मार्च 2020 में अपनी पत्रिका का नाम ‘नवा-ए-अफगान जिहाद’ से ‘नवा-ए-गजवा-ए-हिंद’ कर दिया। इससे आतंकी गुट के भारत में गतिविधियां बढ़ाने का संकेत मिलता है।
यूएन की प्रतिबंध निगरानी व विश्लेषण टीम की 13वीं रिपोर्ट के अनुसार, एक्यूआईएस अफगानिस्तान में बिना शोर-शराबे आतंकी गतिविधियों में जुटा है। इसके पास 180 से 400 आतंकी हैं। इनमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान के नागरिक भी हैं। यह आतंकी गुट गजनी, हेलमंद, कंधार, निमरुज, पकतिका, जबुल राज्यों में हैं। अक्तूबर 2015 में अमेरिका व अफगानिस्तान के कंधार में संयुक्त ऑपरेशन के बाद वे कमजोर तो हुए, लेकिन खत्म नहीं। अब वित्तीय मदद ने मिलने से भी उनकी मुश्किलें बढ़ी हैं। इसलिए वह आक्रामक रुख नहीं दिखा पा रहे।
कट्टरपंथी सोच का प्रतीक है गजवा-ए-हिंद
पत्रिका के नाम में जोड़ा गया गजवा-ए-हिंद आतंकियों व कट्टरपंथी समूहों की भारत के प्रति आक्रामक सोच दर्शाता है। इस्लामी कट्टरपंथी समूहों की मान्यता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच एक बड़ा युद्ध होगा। इसमें मुसलमान जीतेंगे और पूरे उपमहाद्वीप पर कब्जा करेंगे। पाकिस्तान में अधिकतर आतंकी सरगना और धार्मिक नेता गजवा-ए-हिंद का हवाला देकर मुसलमानों को भारत के खिलाफ आतंकी हमलों में इस्तेमाल करने की कोशिश में लगे रहते हैं।
यूएन में भारत का दावा लश्कर-जैश तालिबान की तरह कट्टरपंथी
मुंबई हमले के गुनहगार हाफिज सईद के नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तैयबा और मसूर अजहर के जैश-ए-मोहम्मद जैसे कई पाकिस्तानी आतंकी गुटों ने अफगानिस्तान में ठिकाना बना लिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने तालिबान प्रतिबंध समिति के अध्यक्ष के तौर पर सुरक्षा परिषद के सदस्यों के संज्ञान में लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल की 13वीं रिपोर्ट परिषद में पेश की।
रिपोर्ट में बताया गया है कि लश्कर व जैश तालिबान की तरह ही कट्टरपंथी इस्लाम के देवबंदी धड़े से आते हैं। जैश-ए-मोहम्मद व लश्कर के नंगरहार में आठ प्रशिक्षण शिविर हैं, जिनमें से तीन पर तालिबान का सीधा नियंत्रण है।
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