इंदौर। अरविंद तिवारी. 1952 के पहले आम चुनाव (General election) से लेकर अभी तक हुए सभी लोकसभा (Lok Sabha) चुनाव में यह पहला मौका है, जब इंदौर (Indore) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) का उम्मीदवार ( candidate) मैदान में नहीं होगा। यह उस स्थिति में हो रहा है, जब प्रदेश (State) कांग्रेस की कमान इंदौर के ही जीतू पटवारी (Jeetu Patwari) के हाथों में है।
कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम को मैदान से हटाने की पटकथा विधायक रमेश मेंदोला ने लिखी, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मोर्चा संभाला, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से ग्रीन सिग्नल मिला और खेला हो गया। कहा तो यह जा रहा है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भी इसकी जानकारी उस वक्त मिली, जब बम मेंदोला के साथ नामांकन वापस लेकर कलेक्ट्रेट में खड़ी विजयवर्गीय की गाड़ी में आकर बैठ गए थे। वहीं से उन्हें लेकर रवाना होते ही विजयवर्गीय ने तीनों के फोटो के साथ एक ट्वीट भी किया।भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी को इसकी सूचना उसे वक्त मिली जब वह जनसंपर्क कर रहे थे। चुनावी रणनीति में शामिल भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को इसकी सूचना सब कुछ हो जाने के बाद ही मिली।
अक्षय बम के चुनाव से अलग होने की पटकथा 24 अप्रैल की रात लिखी गई थी। एक फार्म हाउस पर उनकी विजयवर्गीय और मेंदोला से मुलाकात हुई। इस दौरान उन्हें उनसे जुड़े कुछ मामलों के बारे में बताया गया और यह स्पष्ट किया गया कि यह भविष्य में उनके लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। व्यावसायिक पृष्ठभूमि वाले बम ने थोड़ी ही देर में न केवल टूट गए, बल्कि उन्होंने घुटने टेक दिए और इसी संवाद के दौरान अपनी सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया और जब यह आश्वासन मिला कि इसका ध्यान हम रखेंगे, तब उन्होंने कहा कि वह जल्दी ही निर्णय ले लेंगे।
दरअसल जमीन के पुराने विवाद में कुछ दिन पहले ही न्यायालय ने जो प्रकरण बम और उसके पिता कांति बम के खिलाफ दर्ज किया गया है, उसमें धारा 307 यानी हत्या के प्रयास की धारा बढ़ाने का आदेश दिया था। इस मामले में पिता-पुत्र दोनों को अगले महीने न्यायालय में पेश भी होना है। इसी तरह बम के संस्थान इंदौर इंस्टिट्यूट आफ लॉ की एक पूर्व कर्मचारी के परिजन द्वारा उनके खिलाफ की गई गंभीर शिकायत में भी न्यायालय के माध्यम से प्रकरण दर्ज होने की संभावना बलवती होती जा रही थी। उक्त कर्मचारी का अपने पति से तलाक हो चुका है और पति ने विधानसभा चुनाव के दौरान भी सारे दस्तावेज तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पहुंचाए थे और गंभीर प्रवृत्ति के इन आरोपों के बाद ही कांग्रेस ने बम के बजाय वहां से राजा मांधवानी को टिकट दिया था। इसके साथ ही उसके कॉलेज इंदौर इंस्टिट्यूट ऑफ लॉ के परिसर की राजस्व विभाग द्वारा नपती और नक्शे के मुताबिक निर्माण न होने पर कार्रवाई की बात भी चर्चा में आ गई थी। उक्त संस्थान में स्कॉलरशिप से जुड़े कुछ मुद्दों पर भी सरकार की नजर थी। इन सब मामलों से डरे अक्षय विधायक रमेश मेंदोला के भतीजे रत्नेश मेंदोला के दोस्त हैं और रत्नेश के माध्यम से ही उसने अपनी बात विधायक मेंदोला तक पहुंचाई थी, जिन्होंने मंत्री विजयवर्गीय की मदद से इसे अंजाम तक पहुंचाया। बम का मूड भांपने के बाद विजयवर्गीय ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से ग्रीन सिग्नल लिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जानकारी दी और यह तय हो गया कि नामांकन वापसी के अंतिम दिन बम नामांकन वापस ले लेंगे।
सुरक्षा की गारंटी भी चाहते थे बम
नामांकन वापस लेने और भाजपा में शामिल होने का निर्णय लेते समय बम ने विजयवर्गीय से खुद की सुरक्षा की गारंटी भी मांगी थी। उन्हें आशंका थी कि कांग्रेसी उनके साथ अभद्रता कर हाथापाई कर सकते हैं और उनके निवास पर हमला कर सकते हैं। विजयवर्गीय ने उन्हें आश्वासन दिलाया था कि मेंदोला पूरे समय उनके साथ रहेंगे और उनके निवास पर भी सुरक्षा प्रबंध करवा दिए जाएंगे।
जल्दी ही सार्वजनिक हो सकते हैं महिला कर्मचारी से जुड़े दस्तावेज
बम द्वारा नामांकन वापस लेने और भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कांग्रेस अब उन सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की तैयारी में है, जो उसे उनके ही संस्थान की एक पूर्व महिला कर्मचारी के माध्यम से मिले थे। अपनी शिकायत में महिला कर्मचारियों ने बम पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved