लखनऊ. अखिलेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक गोमती रिवर फ्रंट में हुए घोटाले (Gomti River Front Scam) में सोमवार को सीबीआई (CBI) ने परियोजना से जुड़े 190 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इनमें कई सुपरिंटेंड इंजीनियर और अधिशासी इंजीनियर शामिल हैं. इसके अलावा यूपी, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 40 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई है.
लखनऊ, कोलकाता, अलवर, सीतापुर, रायबरेली, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर, इटावा, अलीगढ़, एटा, गोरखपुर, मुरादाबाद और आगरा में एक साथ छापेमारी की गई है. गौरतलब है कि सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे को आधार बनाकर 30 नवंबर 2017 में नया मुकदमा दर्ज किया था.
ये है आरोप
दरअसल, रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई इस आरोप की जांच कर रही है कि प्रोजेक्ट के तहत निर्धारित कार्य पूर्ण कराए बगैर ही स्वीकृत बजट की 95 प्रतिशत धनराशि कैसे खर्च हो गई? प्रारंभिक जांच के अनुसार, प्रोजेक्ट में मनमाने तरीके से खर्च दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की गई है. यह प्रोजेक्ट लगभग 1513 करोड़ रुपये का था, जिसमें से 1437 करोड़ रुपये खर्च हो जाने के बाद भी अभी तक 60 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया है. आरोप यह भी है कि जिस कंपनी को इस काम का ठेका दिया गया था, वह पहले से डिफॉल्टर थी.
जांच में पाए गए दोषी
बता दें 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद ही इस घोटाले की बात सामने आई थी, जिसके बाद सरकार ने न्यायिक जांच बैठा दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में दोषी पाए गए इंजीनियरों और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की संस्तुति की थी. इसके बाद 19 जून 2017 को सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डॉ. अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया थी. बाद में यह जांच सीबीआई को सौंप दी गई.
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