लखलऊ। समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (National President Akhilesh Yadav) ने कहा है कि शहरों के बाद प्रदेश के गांवों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने लगा है। मौत का कहर बरपा रहे संक्रमण पर शासन-प्रशासन (Transition Administration) जानकर अनजान बन रहा है।
भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री अपनी नाकामी छुपाने के लिए सफलता का झूठा ढिढ़ोरा पीटने में लगे हुए है। यह भाजपा सरकार (BJP Government) जनता का सहारा बनने के बजाए उस पर बोझ बन गई है। गांवों में ताबड़तोड़ हो रही मौतों से दहशत व्याप्त है।
अखिलेश यादव ने कहा कि गांवों में कोरोना संक्रमण बढ़ने का कारण यह है कि भाजपा सरकार दवाई, टेस्ट, डॉक्टर तथा टीके को कोई इंतजाम नहीं कर पा रही है। गांवों में स्वास्थ्य का ढांचा भाजपा सरकार ने पहले से ही ध्वस्त कर दिया है। वे असहाय मूकदर्शक बन गए हैं। जिन पर लोगों के इलाज की जिम्मेदारी है वे हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
उन्होंने कहा कि गोंडा के गांवों में शहरों से सात गुना ज्यादा संक्रमित पाए गए हैं। गतदिवस को नए निकले 119 मरीजों में 105 ग्रामीण पॉजिटिव मिले। पंचायत चुनावों के बाद संक्रमण दर 18 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
अखिलेश यादव ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री के गृृह जनपद गोरखपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना कहर से हाहाकार मचा हुआ हैै। अधिकारी आंकड़ों पर पर्दा डालने के खेल में लग गए हैं। गोरखपुर की ग्राम पंचायतों में 46 हजार ग्रामीण खांसी, बुखार की चपेट में हैं।
कानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में भी हालात बेकाबू हो रहे है। चौबेपुर गांव में 15 दिन में 35 मौतें हुई। ग्राम घसारा में 11 दिन में 13, ग्रामीण पीपली में सात मौतें हुई। ग्राम परसहा में एक महीने में 24 मौतें हुई। बुखार-खांसी के तमाम मरीज हैं। बरेली के क्यारा गांव में बुखार-खांसी से 26 मरे।
बुलन्दशहर के बसी गांव में आठ बुखार से मरे जब कि मदनपुर के नकईल गांव में 20 दिन में 15 मौतें हुई है। मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में 12 मौतें हुई। कई गांवो में लोग बुखार में तड़प रहे हैं। कोई पूछने वाला नहीं। भाजपा सरकार बस इलाज की जगह इश्तहार और जिंदगी की जगह मौत बांट रही है।
चारों ओर हाहाकार की चीखें भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री के कानों तक नहीं पहुंच रही है। वे अपनी सभी मानवीय संवेदनाएं खो चुके हैं। गंदी राजनीति और झूठे प्रचार से ही वे अपने को सफल मान रहे है। जनता उनको किस निगाह से देख रही है, इसका अंदाजा उन्हें सन् 2022 के चुनावों में ही लगेगा।
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