लखनऊ (Lucknow) । मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अब नहीं हैं, लेकिन वह 2024 के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को कठोर परिश्रम का मंत्र दे गए थे। इसी मंत्र को आत्मसात करते हुए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अब लोक जागरण यात्रा (Lok Jagran Yatra) निकाल कर माहौल बनाने में जुट गए हैं। उनका खास फोकस समाजवादियों की गढ़ रही और कम अंतर से हारी सीटों पर ज्यादा है। वे अपनी मजबूत आधार वाली सीटों को फिर जीतने की रणनीति बना रहे हैं। इनमें वे सीटें भी हैं जो मुलायम परिवार के सदस्यों ने पिछली बार कम अंतर से गवां दीं।
इन सीटों में से ज्यादातर में मुलायम परिवार के सदस्य ही लंबे समय से चुनाव लड़ते रहे हैं। हाल में अखिलेश यादव ने अपनी लोक जागरण यात्रा की शुरुआत करते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि समाजवादियों के गढ़ वाली सीटें फिर जीतनी हैं। सीटों को लेकर कार्यकर्ताओं में उत्साह बना रहे, इसलिए सभी 80 सीटें जीतने का दावा भी कर दिया गया है।
इस दावे के विपरीत सपा की कोशिश 2004 में जीती अधिकतम सीटों के रिकार्ड को तोड़ने की है। उस चुनाव में सपा ने अपने इतिहास में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 37 सीटें जीत थीं।
यह जीत का चरम था और उसके बाद से सपा के लोकसभा के चुनावी ग्राफ में गिरावट आती गई यानी सपा के पहले लोकसभा चुनाव 1996 से 2004 तक तो ग्राफ बढ़ता गया, लेकिन उसके बाद से लोकसभा चुनाव में सीटों और वोट प्रतिशत दोनों में गिरावट आती गई। देखा जाए अकेले चुनाव लड़कर भी सपा ने 2014 में पांच सीटें पाईं थीं। अगले चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन कर भी उसे पांच सीटें मिलीं। यह अलग बात है कि कम सीटें लड़ने के कारण पिछले चुनाव में उसका वोट 2014 के मुकाबले कम होता गया है।
मामूली अंतर से हारी इन सीटों पर नजर
सपा फिरोजाबाद सीट 28781 वोटों से हारी थी। यहां शिवपाल यादव के लड़ने से भी सपा का वोट बंट गया। इसी तरह बदायूं सीट 18454 वोट गवां दी। यही नहीं सपा इटावा सीट 64437 वोट से, कन्नौज सीट 12353 वोट से, बांदा सीट 58983 वोट से, कौशांबी सीट 38722 वोट से, फैजाबाद सीट 65477 वोट से, बलिया सीट 15519 वोट से और चंदौली सीट 13959 वोट से और रॉबर्ट्स गंज सीट 54336 वोट से हार गई थी।
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