लखनऊ। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने गठबंधन तोड़ने के ऐलान के बाद महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य को पैदल कर दिया है। सपा ने विधानसभा चुनावों (assembly elections) से पहले केशव देव मौर्य को एक फारर्च्यूनर कार गिफ्ट में दी थी, जिसे गठबंधन टूटने के बाद वापस मंगा ली है। सपा के सूत्रों ने दावे के साथ इस बात की तस्दीक है कि सपा से गठबंधन तोड़ने वाले महान दल प्रमुख केशव देव मौर्य से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गिफ्ट मे दी गई फारर्च्यूनर कार वापस ले ली है।
यूपी विधानसभा चुनाव (UP assembly elections) के नतीजे सामने आने के बाद राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव (Rajya Sabha and Legislative Council elections) में हिस्सेदारी ना मिलने से खफा केशव देव मौर्य ने सपा से गठबंधन तोड़ने की बात कह कर कई तरह के आरोप भी लगाए। उन्होंने सपा से गठबंधन तोड़ने का एलान किया है। सपा गठबंधन में महान दल को केवल दो सीटें मिली थीं। केशव की पत्नी और बेटे को सपा के चुनाव चिह्न साइकिल पर चुनाव लड़ाया गया था लेकिन दोनों पराजित हो गए। विधानसभा चुनाव के दरम्यान सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा प्रो रामगोपाल यादव ने केशव देव मौर्य की जमकर तारीफ करते हुए उन्हे भगवान श्री कृष्ण का अवतार बताया था।
27 अगस्त को सैफई महोत्सव पंडाल मे आयोजित रैली मे समाजवादी पार्टी के प्रमुख महासचिव प्रो.रामगोपाल यादव ने महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य की तुलना भगवान श्री कृष्ण से की थी। प्रो यादव ने कहा था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के चुनावी रथ के सारथी महान दल के केशव देव मौर्य होंगे। केशव देव मौर्य से सपा ने जब गठबंधन किया था उस समय यह उम्मीद की गई थी कि केशव के जरिए समाजवादी पार्टी को खासा फायदा मिलेगा लेकिन ऐसा संभव नही हो सका। पिछडी जातियों मे प्रमुख शाक्य मौर्य कुशवाहा और सैनी वर्ग से ताल्लुक से जुडे केशव अपनी जाति पर प्रभाव नही छोड़ सके जबकि इसके विपरीत सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी से जुडे इस जाति से ताल्लुक रखने वाले नेताओं को असर व्यापक दिखाई दिया जिसका असर यह हुआ है कि भाजपा की ओर से उतारे गये शाक्य, मौर्य, कुशवाहा और सैनी वर्ग के उम्मीदवारो ने खासी कामयाबी पाकर भाजपा को ताकत प्रदान की।
साल 2008 में वजूद में आए महान दल ने पहली बार 2009 लोकसभा में कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ी थी। 2009 में प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि, उस चुनाव में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। इसके बाद 2014 में महान दल ने तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। 2019 में फिर कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े, लेकिन इस बार जीत नसीब नहीं हुई।
2012 के विधानसभा में महान दल जीत नहीं सकी थी, लेकिन 20 सीटों पर प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में महान दल ने 71 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिन्हें करीब साढ़े छह लाख वोट मिले । 2017 के विधानसभा चुनाव में महान दल के प्रदर्शन में 2012 की तुलना में गिरावट आई और सर्फि चार विधानसभा कासगंज, मधौगढ़, अमांपुर और पटियाली में ही उनके प्रत्याशी को 10 हजार से ज्यादा वोट हासिल हुए थे। महान दल का जनाधार बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद के इलाका में अच्छा खासा माना जाता है लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव मे समाजवादी पार्टी को महान दल कोई खास फायदा नही पहुचा सका है।
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