नई दिल्ली: बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ जिस जातिगत जनगणना को सियासी हथियार बनाने की कवायद में लगा हुआ है. अब उसे लेकर राहुल गांधी मध्य प्रदेश में बीजेपी और मोदी सरकार पर हमलावर हैं, तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस पर वार कर रहे हैं. कांग्रेस द्वारा की जा रही जातिगत जनगणना की मांग के बीच अखिलेश ने सवाल उठाया है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों ने सत्ता में रहते हुए जातीय गणना क्यों नहीं कराई. इतना ही नहीं अखिलेश कांग्रेस और बीजेपी को एक ही सिक्के के दो पहलू और दोनों को ओबीसी विरोधी बताने में जुटे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अखिलेश के मन में INDIA गठबंधन को लेकर क्या चल रहा है?
राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए बीजेपी पर ओबीसी के मुद्दे पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा था कि जातिगत जनगणना एक ‘एक्स-रे’ की तरह होगी, जो विभिन्न समुदायों का पूरा विवरण देगी. इस तरह से राहुल ने शिवराज सरकार और बीजेपी को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़े करने कोशिश कर रहे हैं. राहुल गांधी की जातिगत गणना पर ‘एक्स-रे’ वाली टिप्पणी पर तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने सवाल उठाया कि पिछली कांग्रेस की सरकारों ने अपनी दोषपूर्ण नीतियों की वजह से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की?
‘कांग्रेस की जातीय गणना की मांग बड़ा चमत्कार’
अखिलेश यादव ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तो यह समस्या उसी समय हल हो सकती थी. अगर ‘एक्स-रे’ उसी समय हो गया होता, तो परेशानी नहीं बढ़ती. उन्होंने कहा कि अब तो एमआरआई और सीटी स्कैन की जरूरत है, क्योंकि बीमारी बढ़ चुकी है. सपा नेता ने कहा कि कांग्रेस की जातीय गणना की मांग करना सबसे बड़ा ‘चमत्कार’ है, क्योंकि यह वही पार्टी है, जिसने आज़ादी के बाद जातिगत जनगणना नहीं करवाई. उन्होंने कहा कि जब भी राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना की मांग उठाई, तब कांग्रेस ने ही ऐसा करने से इंकार कर दिया था. कांग्रेस जातिगत जनगणना की मांग इसीलिए कर रही है, क्योंकि उसका अपना कोर वोटबैंक अब उसके साथ नहीं है.
सपा और कांग्रेस के बीच आई दरार !
सपा प्रमुख अखिलेश यादव मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस पर लगातार हमलावर हैं. राहुल गांधी के द्वारा उठाए जा रहे जातिगत जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस को कठघरे में खड़े करने की कोशिश अखिलेश कर रहे हैं, उससे सपा और कांग्रेस के बीच दरार खुलकर सामने आ गई है. सपा के हमले पर कांग्रेस भले ही जवाब नहीं दे रही है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर दोनों की दोस्ती में आई खटास अब उनके रिश्ते को भी दिन ब दिन बिगाड़ती जा रही है. इसका प्रभाव सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकती है.
‘INDIA’ गठबंधन में 28 दल शामिल
बता दें कि बीजेपी और पीएम मोदी को 2024 में सत्ता की हैट्रिक लगाने से रोकने के लिए 28 विपक्षी दलों ने मिलकर ‘INDIA’ गठबंधन का गठन किया था. विपक्षी गठबंधन INDIA की बैठक में जातिगत जनगणना कराने का संकल्प पत्र भी पास किया था. इसी बीच मोदी सरकार ने संसद में महिला आरक्षण बिल लेकर आई तो कांग्रेस ने समर्थन किया, लेकिन साथ ही ओबीसी कोटे की मांग उठा दी. राहुल से लेकर सोनिया गांधी तक ने महिला आरक्षण में ओबीसी कोटे की डिमांड करते हुए जातिगत जनगणना का नैरेटिव सेट करना शुरू कर दिया.
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातिगत जनगणना के साथ आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे कराकर रिपोर्ट ही नहीं सार्वजनिक की बल्कि आरक्षण के 50 फीसदी लिमिट को भी बढ़ाने के लिए विधानसभा में बिल पास करा दिया. नीतीश सरकार ने बिहार में 50 फीसदी आरक्षण लिमिट को बढ़ाकर अब 65 फीसदी कर दिया है. इसके साथ ही 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस को मिलकर बिहार में अब 75 फीसदी आरक्षण कर दिया है. बिहार में कांग्रेस भी नीतीश के अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार के सहयोगी है तो उसकी क्रेडिट भी लेने में जुट गई है.
राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक अपनी हर रैलियों में बीजेपी और मोदी सरकार को जातिगत जनगणना के मुद्दे पर घेरने में जुटे हैं तो अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में कांग्रेस को घेर रहे हैं. इतना ही नहीं देश में जातिगत जनगणना न होने का असली गुनहगार कांग्रेस को बता रहे हैं. अखिलेश के सियासी तेवर से साफ है कि सपा और कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में क्या मिलकर चुनाव लड़ेंगी, क्योंकि जिस तरह सपा की ओर से हमले जारी है, उससे रिश्ते सुधरने के बजाय बिगड़ते जा रहे हैं.
‘INDIA’ गठबंधन में नहीं तालमेल!
कांग्रेस का आम आदमी पार्टी के साथ पहले से ही बेहतर तालमेल नहीं दिख रहा है तो ममता बनर्जी के साथ तस्वीर साफ नहीं है. नीतीश कुमार भी जिस उम्मीद और अपेक्षा के साथ बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन में आए थे, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. कांग्रेस ने उन्हें न तो विपक्षी गठबंधन INDIA का संयोजक बनाया और न ही प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किया. कांग्रेस पांच राज्यों के चुनाव नतीजों का इंतजार कर रही है, उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर अपने पत्ते खोलेगी. ऐसे में सपा से लेकर केजरीवाल तक भी वेट एंड वाच के मूड में है, लेकिन वार करने से पीछे नहीं हट रहे हैं?
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