इन्दौर: ओखलेश्र महादेव मंदिर में हनुमानजी की सबसे दुर्लभ मूर्ति स्थापित है। यहां पर आने वाले भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करते है हाथ में शिवलिंग लिए हनुमान। जंगल के रास्ते इस मंदिर तक पहुंचने पर लोगों को पर्यटन का आनंद भी मिलता है। यहां पर वर्षों से भगवान की महिमा रामचरित्र मानस के रूप में अखण्ड रूप से गाई जा रही है।
खण्डवा रोड पर स्थित बाई ग्राम के पास से ओखलेश्वर धाम पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह स्थान कपिल मुनि की तपोभूमि है। यहां उनका आश्रम हुआ करता था। एक किंवदंती यह भी है कि श्रीराम-रावण युद्ध के लिए जब श्रीराम ने हनुमानजी को धाराजी से शिवलिंग लाने को कहा था, तब आकाश मार्ग से गुजरते वक्त हनुमानजी इस आश्रम की सुंदरता देख कुछ देर के लिए यहां रुके थे। कुछ देर विश्राम करने के बाद जब उन्होंने दिव्यदृष्टि से देखा कि श्रीराम ने रामेश्वर में रेत से शिवलिंग का निर्माण कर लिया है तो वे यहीं स्तब्ध रह गए थे और आज उसी स्वरूम में महाबली हनुमान हाथ में शिवलिंग लिए यहां विराजमान होकर लोगों की पीड़ा हर रहे हैं।
धर्म के साथ पर्यटन का लाभ लेना चाहते हैं तो जरूर जाएं
यदि आप मध्यप्रदेश के सबसे आधुनिक शहर इंदौर में हैं। आपके पास आधे या 1 दिन का समय है तो प्राकृतिक आनन्द के साथ धार्मिक लाभ भी ले सकते हैं ओखलेश्वर धाम आकर। यहां आपको 500 वर्ष पुराना शिवलिंग और श्रीराम भक्त हनुमानजी की दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन होंगे, वहीं यहां न तो कोई बाजार, जो अक्सर पर्यटन स्थलों की प्राकृतिक सुंदरता को डिस्टर्ब करते हैं न ही कोई धर्म के नाम पर धन का लालची है।
इंदौर से ऐसे पहुंचे ओखलेश्वर महादेव मंदिर
ओखलेश्वर महादेव मंदिर की सुंदरता और दिव्यता का अनुभव करने के लिए पर्यटकों को इंदौर शहर से बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं। इंदौर से करीब 17 किमी दूर सिमरोल घाट के खत्म होने पर जो रेलवे लाइन नजर आती है, उसके पास से ही गांव बाई ग्राम के लिए रास्ता मुड़ता है। रेलवे लाइन से करीब 20 किमी दूर यह ओखलेश्वर महादेव का मंदिर बना हुआ है।
इंदौर, देवास और खंडवा के जंगल की सीमा पर स्थित है
बरसात के मौसम में तो ओखलेश्वर मंदिर पहुंचने के रास्ते का नजारा और भी खुशनुमा हो जाता है। पक्की सडक़ अगर यात्रा को सहज बनाती है, वहीं जंगल के बीच से होकर गुजरता रास्ता यात्रा को रोमांचक बना देता है। यह वह स्थान है, जो कि इंदौर, देवास और खंडवा के जंगल की सीमा पर स्थित है। इसलिए हरियाली की यहां कोई कमी नहीं है।
सर्द मौसम में ओखलेश्वर जाना मन को सुकून देता है
गर्मी के मौसम में यहां पर जरूर गर्म हवाएं परेशान करती हैं, लेकिन सर्दी के दिनों में पेड़ों से छनकर आती धूप और भी सुकून देती है। फागुन के आसपास यहां जाना मतलब प्रकृति के उस रूप को देखने के समान है, जिसमें पेड़ों पर आग की आभा पलाश के खिले फूल कराते हैं। हां, गर्मी के मौसम में सुबह-सुबह यात्रा का आनंद लिया ही जा सकता है।
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