महिदपुर। आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी की प्रेरणा से मुमुक्षु आकाश सांसारिक जीवन त्यागकर 4 मई को संयम पथ अंगीकार कर दीक्षा ग्रहण करने जा रहे हैं। आकाश स्थानीय कोचर परिवार का भानेज है। इस अवसर पर महिदपुर में आकाश का भव्य वर्षीदान वरघोड़ा निकाला गया। वरघोड़े के आरंभ में बैण्ड, घोड़े, बग्घी, ढोल आदि शोभा बढ़ा रहे थे। बग्घी में गुरुदेव का चित्र एवं आकाश के माता पिता विराजित थे। समस्त समाजजनों ने अपने घर के आगे प्रभुजी की अक्षत एवं गहूंली की एवं दीक्षार्थी आकाश भाई का बहुमान किया। नगर के प्रमुख मार्गों से वरघोड़ा निकलकर शांतिनाथ आराधना भवन पहुंचा जहां धमर्सभा में परिवर्तित हुआ।
जहां आरंभ में मोक्षनाथजी महाराज ने संगीतमय गुरुवंदन करवाया। दीक्षार्थी के अनुमोदन में सिद्धचक्र बहुमण्डल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया पश्चात आदिनाथ स्नात्र मण्डल द्वारा गुरु स्तुति प्रस्तुत की गई। प्रीतेश सोनगरा द्वारा भजन गाकर स्वागत किया गया। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्री संघ की ओर से मुमुक्षु आकाश का बहुमान संघ अध्यक्ष अंकुर भटेवरा व वरिष्ठजनों ने किया। मुमुक्षु को सम्मान पत्र भेंट किया गया जिसका वाचन साहित्यकार जैनेन्द्र खेमसरा ने किया, वहीं खरतरगच्छ श्री संघ, स्थानकवासी श्रीसंघ, त्रिस्तुतिक श्री संघ, जैन सोश्यल ग्रुप, आदर्श महावीर नवयुवक मण्डल, दिगम्बर जैन श्रीसंघ ने भी बहुमान किया। गुरुदेव की निश्रा में कामलाखेड़ी के विहारधाम की भूमि पूजन किया गया, साथ ही पानबिहार में आत्म वल्लभ विहार धाम के निर्माण हेतु भूमि नासकावाला परिवार ने दी एवं खनन मुहुर्त का लाभ शरद कुमार अंकुर कुमार भटेवरा परिवार ने लिया। प्रवचन में गुरुदेव ने कहा कि चरित्र बिना मुक्ति संभव नहीं है।
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