मुंबई । महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Deputy CM Ajit Pawar) ने रविवार को अपने चाचा शरद पवार (Sharad Pawar) को छोड़ने के पीछे की वजह बताई है। अजित ने कहा कि उन्हें एनसीपी (NCP) के संस्थापक और अपने चाचा शरद पवार से इसलिए अलग होना पड़ा क्योंकि पार्टी के सभी विधायक अपने क्षेत्रों में रुके हुए विकास कार्यों को पूरा करने के लिए एकनाथ शिंदे नीत महायुति सरकार में शामिल होना चाहते थे, जबकि वह (शरद पवार) इस बात के लिए राजी नहीं थे।
बारामती में प्रचार करने के लिए पहुंचे उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने जनता के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आप सोच रहे होंगे कि मुझे इस उम्र में पवार साहेब को नहीं छोड़ना चाहिए था। मैंने साहेब को नहीं छोड़ा। मैंने उनसे कहा कि यह सभी विधायकों की राय है कि हमें (शिंदे) सरकार में शामिल होना चाहिए क्योंकि हमने (महा विकास आघाडी सरकार के तहत) जिन विकास कार्यों को मंजूरी दी थी, उन्हें रोक दिया गया है। विधायकों ने (सरकार में शामिल होने के प्रस्ताव के समर्थन में) हस्ताक्षर भी किए। लेकिन पवार साहेब नहीं माने।
लोकसभा में साहेब को दिया समर्थन अब मुझे दीजिए- अजित
बारामती क्षेत्र में अजित पवार ने जनता से समर्थन मांगते हुए कहा कि आप ने लोकसभा चुनाव में शरद पवार और उनकी बेटी एवं सांसद सुप्रिया सुले का समर्थन किया था, जिससे सुप्रिया यहां से जीत गई थी।
अजित ने कहा कि अब, मुझे समर्थन दीजिए। मैं यहां कल एक रैली में भाग लूंगा और पवार साहेब भी एक रैली करेंगे। मैं आपके सामने अपने विचार रखूंगा। आप फैसला करिए कि भावी पीढ़ियों की खातिर किसे वोट करना है। अजित पवार 1991 से बारामती सीट से विधायक रहे हैं।
पिछले साल जुलाई में अजित पवार अपने चाचा एनसीपी की पार्टी के आठ विधायकों सहित पार्टी से अलग हो गए थे, जिसके बाद एनसीपी दो धड़ों में बंट गई थी। निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद अजित पवार को पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह घड़ी मिल गया था, जबकि शरद पवार की अगुवाई वाले धड़े का नाम राकांपा (शरदचंद्र पवार) रखा गया और उसे ‘तुरही बजाता व्यक्ति’ का चिह्न दिया गया।
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