मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे एनसीपी प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की सियासी चुनौती बढ़ती जा रही है. चाचा शरद पवार का तख्तापलट करने वाले अजीत पवार भले ही एकनाथ शिंदे की सत्ता में हिस्सेदार बन गए हो, लेकिन पहली ही सियासी परीक्षा में वो खुद को साबित नहीं कर सके. लोकसभा चुनाव के नतीजे न अजीत पवार के पक्ष में आए हैं और न ही अब बीजेपी और शिवसेना उन्हें तवज्जो दे रहे हैं. आरएसएस की तरफ से इशारों-इशारों में बीजेपी को अजीत पवार से नाता तोड़ने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में अजीत पवार और उनकी पार्टी के लिए 2024 का विधानसभा चुनाव बड़ी टेंशन बना हुआ है.
लोकसभा चुनाव में अजीत पवार की पार्टी एनसीपी महज एक संसदीय सीट ही जीत सकी है. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए खेमे से एनसीपी को चार सीटें चुनाव लड़ने के लिए मिली थी. अजीत पवार न ही अपने कोटे की सीटें जीत सके और न ही अपने समाज का वोट सहयोगी दलों को दिलाने में सफल रहे. इसके चलते पश्चिमी महाराष्ट्र के इलाके में इंडिया गठबंधन का पलड़ा भारी रहा था. शरद पवार की एनसीपी पश्चिमी महाराष्ट्र में अपना गढ़ बचाने में कामयाब रही और अजीत पवार का सियासी असर बेअसर रहा था. इसके चलते अजीत पवार अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की जद्दोजहद में हैं ताकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कमबैक कर सकें?
अजीत पवार को जिस राजनीतिक लाभ के उम्मीद में बीजेपी ने अपने साथ मिलाया था और डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंपी थी, उसका सियासी फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिल सका. इसके चलते ही बीजेपी अब अजीत पवार को बहुत ज्यादा सियासी अहमियत नहीं दे रही है. मोदी मंत्रिमंडल में अजीत पवार की एनसीपी को जगह नहीं मिल सकी. इतना ही नहीं बीजेपी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी एनसीपी से अलग होने की बात कही है.
हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पुणे की एक रैली में जिस तरह से शरद पवार पर सीधा निशाना साधते हुए भ्रष्टाचार का मुख्य सरगना बताया, उसने अजीत पवार खेमे को कशमकश में डाल दिया है. ऐसे में शरद पवार को अजीत पवार भले ही अपने लिए भगवान की तरह बता रहे हों, लेकिन अमित शाह पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी ने 160 से 170 सीटें लड़ने का दावा करके यह बता दिया है कि शिंदे और अजीत पवार को बची हुई 120 सीटों में ही बांटना पड़ेगा.
अजीत पवार ने राजनीति में अपने चाचा शरद पवार की उंगली पकड़कर कदम रखा और सियासत में आगे बढ़े हैं, लेकिन अपने चाचा की छांव से बाहर आते ही वो बेअसर हो गए. शरद पवार मराठा समुदाय के बड़े नेताओं में हैं और उनकी पकड़ इस समुदाय पर अच्छी खासी है. शरद पवार के साथ रहते हुए अजीत पवार की मराठों पर मजबूत पकड़ मानी जाती रही. खासकर पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के इलाके में एनसीपी का दबदबा था, लेकिन लोकसभा चुनाव में शरद पवार ने जिस तरह से अपना दबदबा दिखाया है, उसके चलते अजीत पवार की कोई खास पकड़ नहीं रह गई. इस बात को बीजेपी भी समझ गई है कि मराठा समुदाय पर पकड़ शरद पवार और उनकी पार्टी का है. इसीलिए इंडिया गठबंधन का मराठा-दलित-मुस्लिम समीकरण बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए पर भारी पड़ा.
महाराष्ट्र की सियासत में अजीत पवार अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही अजीत पवार ने चुनावी प्रबंधन कंपनी डिजाइन बॉक्स्ड को हायर किया है. विधानसभा चुनाव के कैंपेन और रणनीति के लिए अजीत पवार डिजाइन बॉक्स्ड से मदद ले रहे हैं. विधानसभा चुनाव के लिए एनसीपी की ब्रांडिंग कर रहे हैं. माना जा रहा है कि अजीत पवार ने इसी कंपनी की सलाह पर एमएलसी चुनाव के दौरान अपने सभी विधायकों को साथ मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में जाकर माथा टेककर सियासी संदेश देने की कोशिश की थी. मतदाता तक पहुंचने के लिए 90 दिन की योजना बनाई गई है, जिस पर अजीत पवार ने काम भी शुरू कर दिया है.
अमित शाह के द्वारा शरद पवार पर निशाना साधे जाने के सवाल पर अजीत पवार भले ही चुप्पी साधे हों, लेकिन उनके नेता खुलकर शरद पवार के समर्थन में उतर गए हैं. अजीत पवार के कट्टर समर्थक पिंपरी के विधायक अन्ना बंसोडे ने शाह की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘हमारे मन में पवार साहब के लिए अत्यंत सम्मान है. उन्होंने कहा कि अमित शाह को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी. पिंपरी चिंचवड से एनसीपी नेता विलास लांडे ने तो कहा कि उन्होंने बीजेपी को पत्र लिखकर शरद पवार के खिलाफ ऐसी टिप्पणी न करने की बात कहेंगे, क्योंकि शरद पवार के ऊपर कोई भी भ्रष्टाचार का दाग नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि अजीत पवार खुद किसी तरह से बयान देने के बजाय अपने करीबी नेताओं के जरिए बीजेपी को संदेश दे रहे हैं. इस तरह ये शरद पवार की सियासी विरासत को अपने नाम करने की स्ट्रैटजी मानी जा रही है.
अजीत पवार ने अपने सभी नेताओं और विधायकों को विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने का दिशा-निर्देश दे चुके हैं. अजित पवार खुद भी मतदाताओं और कार्यकर्ताओं के मन में गुलाबी रंग बिठाने की कोशिश कर रहे हैं. अजित पवार ने सफेद कुर्ते के ऊपर गुलाबी जैकेट पहनाना शुरू कर दिया है. इसके लिए उन्होंने 12 गुलाबी रंग की जैकेटें सिलवाई हैं. अजित पवार ने अपने कुर्ते और जैकेट पर एनसीपी पार्टी का चिन्ह भी लगाना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं अजीत पवार ने राज्य के 17 शहरों में पिंक ई-रिक्शा की योजना का ऐलान किया है, जिसके तहत करीब 10 हजार महिलाओं को फायदा होगा. पिंक ई-रिक्शा योजना के तहत पात्र महिलाओं को 20 फीसदी राशि सरकार की तरफ से दी जाएगी और 20 फीसदी पैसा महिलाएं देंगी. राज्य सरकार के अनुसार इस योजना से महिलाओं को शहरों में रोजगार भी मिलेगा और वे आर्थिक तौर पर सशक्त बन सकेंगी.
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