पुणे। रक्तदान (Blood Donation) को महादान कहा जाता है. इस वक्त देश जब कोरोना (Corona) की महामारी(Pandemic) से जूझ रहा है, प्लाज्मा दान(Plasma Donation) को गंभीर कोविड-19 मरीजों (Covid-19 Patients) के लिए वरदान से कम नहीं समझा जा रहा. पुणे (Pune) का एक शख्स पिछले नौ महीने में 14 बार प्लाज्मा दान कर चुका (Has donated plasma 14 times in nine months) है. पुणे के रहने वाले इस शख्स का नाम अजय मुनोत(Ajay Munot) है. इतनी बार प्लाज्मा दान करने की वजह से करीबी उन्हें ‘चलता फिरता प्लाज्मा बैंक’ (Chalta Firta Plasma Bank )बुलाने लगे हैं.
14 बार प्लाज्मा दान करने वाले अजय मुनोत 50 साल के हैं. वो शरीर में लगातार बनने वाली एंटीबॉडीज को प्लाज्मा के जरिए दान करने के पीछे अपनी मां को प्रेरणा बताते हैं. मुनोत बताते हैं कि उनकी मां का ब्लड ग्रुप ‘O’ निगेटिव था, यूनिवर्सल डोनर होने की वजह से वो किसी भी ब्लड ग्रुप वाले को रक्त दान कर सकती थीं. उन्हें पुणे के ऑर्मी ऑफिस से कई बार रक्त दान के लिए फोन आते थे. जब भी मां को ऐसा करते मुनोत देखते तो दूसरों की मदद के लिए उनका जज्बा भी और मजबूत होता रहा.
मुनोत के मुताबिक वे जुलाई 2020 में कोरोना से संक्रमित होने के बाद रिकवर हुए थे, तभी से वे लगातार प्लाज्मा दान करते आ रहे हैं. जिस प्लाज्मा बैंक में मुनोत प्लाज्मा डोनेट करने जाते हैं, वहा की इंचार्ज डॉक्टर स्मिता जोशी ने बताया कि अगस्त 2020 से मुनोत हर 15 दिन बाद प्लाज्मा डोनेशन के लिए आ रहे है. हर दफे उनके टाइटर रेट का टेस्टिंग हाइटेक मशीन पर नापा गया. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के नियमों के मुताबिक प्लाज्मा डोनर का टाइटर रेट 1.640 से ज्यादा होना चाहिए. सहयाद्रि प्लाज्मा कलेक्शन बैंक डोनर का टाइटर रेट 2 के ऊपर रहता है तो ही प्लाज़्मा लेता है. डॉक्टर स्मिता जोशी ने बताया के अजय मुनोत का टाइटर रेट आज की तारीख में 3 और 4 के बीच में है. टाइटर रेट ज्यादा होने का मतलब है कि किसी व्यक्ति में एंटीबॉडी का प्रमाण ज्यादा है. डॉक्टर स्मिता जोशी के मुताबिक अजय मुनोत अकेले नहीं है जिन्होंने 14 बार प्लाज़्मा दान किया है. राम बांगर नाम के शख्स ने भी उनके ही बैंक में 14 बार प्लाज्मा दान किया है. मुनोत का कहना है कि जब उनके शरीर में एंटीबॉडीज बनती रहेंगी, वो जरूरतमंदों के लिए इसे ब्लड-बैंक में दान करते रहेंगे. अजय मुनोत ने दावा किया कि 14 बार प्लाज्मा दान करने की वजह से उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.