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अजय और संजय भटनागर: ये हैं सूबे के इकलौते जुड़वां भाई जो पत्रकार हैं

April 07, 2023

प्यार मोहब्बत का जिस से एक अलग ही रिश्ता होता है,
वो भाई बस भाई नहीं होता एक फ़रिश्ता होता है।

ये जो दो भाइयों की तस्वीर आप देख रहे हैं। ये दोनों जुड़वां भाई हैं। हमशक्ल हैं…और तो और हमपेशा भी हैं। गोया के दोनों ही सहाफी (पत्रकार) हैं। एक का इस्मेगिरामी है अजय भटनागर तो दूसरे हैं, संजय भटनागर। अजय भटनागर ने तकऱीबन 20 बरस सहारा समय मे रिपोर्टर से लेके ब्यूरोचीफ से लेके असोसिएट एडिटर तक का सफर तय किया। हालफिलहाल अजय भारत एक्सप्रेस नेशनल न्यूज़ चैनल भोपाल में ब्यूरोचीफ हैं। तो उधर इनसे चंद मिनट छोटे जुड़वां भाई संजय दैनिक भास्कर ग्वालियर में फोटो जर्नलिस्ट हैं। 28 फऱवरी 1971 को इन दोनों जुड़वां भाइयों की पैदाइश इनके ननिहाल आगरा में हुई। पिता ग्वालियर टेलीफोन एक्सचेंज में काम करते थे। अजय और संजय ने ग्वालियर के तानसेन रोड वाले हायर सेकंडरी स्कूल से पढ़ाई करी। दोनो ने डबल एमए भी किया है। अजय ने चंडीगढ़ ट्रिपल टीआई से वीडियो फि़ल्म प्रोडक्शन टेक्निक में पीजी सर्टिफिकेट कोर्स भी किया। अजय का सहाफत का सफर 20 बरस पहले सहारा समय ग्वालियर से शुरु हुआ। वहां लंबे वक्त तक काम करने के बाद ये साल 2008 में भोपाल सहारा समय मे ब्यूरोचीफ हो गए। यहां ब्यूरो कॉर्डिनेटर, प्रिंसिपल कोरेस्पांडेंट और एसोसिएट एडिटर की कुर्सी भी इन्होंने संभाली। व्यापम कांड का अजय ने जबरदस्त कवरेज किया था। उधर इनके छोटे जुड़वां भाई संजय ने करीब सत्रह अठाहर बरस पहले द वीक के लिए ग्वालियर-चंबल संभाग के लिए स्ट्रिंगर फोटो जर्नलिस्ट बतौर काम किया।



फिलहाल संजय दैनिक भास्कर ग्वालियर में साल 2008 से फोटो जर्नलिस्ट कम रिपोर्टर हैं। ये ग्वालियर के सिटी भास्कर के लिए रिपोर्टिंग भी करते हैं। दोनो जुड़वां भाइयों की आदतें, खानपान, बॉडी लैंग्वेज और आवाज़ बिल्कुल एक जैसे हैं। अजय कहते हैं कि हम दोनों के विचार या चीजों को सोचने समझने का तरीका भी एक जैसा है। दोनो के बाल उड़े हुए हैं। दोनो की दो दो संताने हैं। इनसे बड़े पांच भाई बहन और हैं। जुड़वां होने के चलते इनके साथ कई रोचक किस्से होते रहते हैं। एक बार स्कूल के इम्तहान में अजय कुछ पहले पेपर देके निकल गए। उधर परीक्षक ने जब दूसरे कमरे में इनके हमशक्ल संजय को इम्तहान देते देखा तो उसे शक हुआ। संजय ने बताया कि वो उनका जुड़वां भाई अजय होगा। लेकिन परीक्षक को भरोसा नहीं हुआ। आखिरकार अजय को घर वापस स्कूल बुलाया गया। मुतमईन होने पर संजय को इम्तहान देने दिया गया। उन्हें एडिशनल टाइम भी दिया गया। एक बार भाजपा नेता हितेश वाजपेयी किसी सियासी प्रोग्राम में जब ग्वालियर गए तो उन्हें वहां संजय फोटोग्राफी करते दिखे। हितेश जी ने उन्हें अजय समझ के विश किया। जब सामने से कोई जवाब नहीं आया तो उन्होंने कहा अजय भाई क्या पहचान नहीं रहे हो। इस पे संजय ने असलियत बताई के साब मैं अजय का जुड़वां भाई हूं। ऐसे ही जब अजय ग्वालियर जाते हैं या संजय भोपाल आते हैं तो लोग संजय को अजय समझ के और अजय को संजय समझ के दुआ सलाम कर लेते हैं। ये भी बड़े प्रेम से जवाब दे दिया करते हैं। अजय और संजय का दावा है कि मध्यप्रदेश में कोई भी जुड़वां सहाफत में नहीं हैं। दोनो भाइयों का उसूल है कि हमारी वजह से कभी किसी को तकलीफ न हो और हम किसी ज़रूरतमंद की मदद कर सकें तो ये जीवन सार्थक हो जाएगा।

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