नई दिल्ली। दिव्यांग पैसेंजर (disabled passenger) फ्लाइट (flight) में बैठने के लिए फिट है या नहीं, यह एयरलाइन कंपनियां (airline companies) नहीं तय करेंगी बल्कि डॉक्टर (Doctor) इसकी इजाजत देंगे। हालांकि, डॉक्टर को भी उचित कारण बताना होगा कि आखिर पैसेंजर विमान से क्यों नहीं जा सकता है। देश में एयरलाइन कंपनियों की शीर्ष नियामक नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने यह आदेश जारी किया है।
क्या कहा DGCA ने:
डीजीसीए की ओर से जारी बयान के मुताबिक एयरलाइन विकलांगता के आधार पर किसी भी पैसेंजर को उड़ान भरने देने से मना नहीं करेगी। अगर किसी एयरलाइन को लगता है कि पैसेंजर का स्वास्थ्य उड़ान के दौरान खराब हो सकता है, तो उक्त पैसेंजर की जांच एक डॉक्टर से करानी होगी। इसके बाद डॉक्टर स्पष्ट रूप से पैसेंजर की चिकित्सा स्थिति के बारे में जानकारी देंगे। डॉक्टर ये बताएंगे कि यात्री उड़ान भरने के लिए फिट है या नहीं। डॉक्टर की सलाह के बाद ही एयरलाइन कंपनियां फैसला ले सकती हैं।
नियामक का यह कदम रांची एयरपोर्ट की उस घटना के बाद आया है जहां इंडिगो ने एक दिव्यांग किशोर को अपने विमान में चढ़ने से मना कर दिया था। इंडिगो की इस हरकत पर DGCA ने 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
क्या था मामला:
दरअसल, इंडिगो ने कहा था कि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए, एक दिव्यांग बच्चे को सात मई को रांची-हैदराबाद उड़ान में सवार होने की अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि वह घबराया हुआ नजर आ रहा था। 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए DGCA ने कहा था कि इंडिगो के कर्मचारियों का व्यवहार गलत था और इससे स्थिति बिगड़ गई।
DGCA के मुताबिक बच्चे के साथ करुणा का व्यवहार किया जाना चाहिए था और बच्चे की घबराहट दूर कर उसे शांत किया जाना चाहिए था। विशेष परिस्थितियों में असाधारण प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है, लेकिन विमानन कंपनी के कर्मचारी ऐसा करने में विफल रहे।
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