नई दिल्ली: भारत (india) का विमानन क्षेत्र इन दिनों लगातार डेवलपमेंट (development) का गवाह बन रहा है. विमानन क्षेत्र में पिछले कुड समय से लगातार बदलाव देखने को मिल रहे हैं. इस क्षेत्र में एक तरफ कुछ कंपनियां विमानों के रिकॉर्ड ऑर्डर दे रही हैं, तो दूसरी ओर कइयों के सामने परिचालन में बने रहना मुश्किल हो रहा है. इन घटनाक्रमों के बीच दो विमानन कंपनियों से एयरलाइंस कोड दिन गए हैं.
क्या होता है एयरलाइंस कोड
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (International Air Transport Association) यानी आईएटीए सभी विमानन कंपनियों को एयरलाइंस कोड जारी करता है. आईएटीए दुनिया भर की विमानन कंपनियों का संगठन है. सभी विमानन कंपनियों को परिचालन के लिए यानी उड़ान भरने के लिए एयरलाइंस कोड की जरूरत होती है. इस कोड में एक अल्फाबेट और एक डिजिट होता है.
इस कारण हटाए गए कोड
मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईएटीए ने घरेलू विमानन कंपनियों गो फर्स्ट और जेट एयरवेज का एयरलाइंस कोड रिमूव कर दिया है. आईएटीए ने गो फर्स्ट को जी8 और जेट एयरवेज को 9डब्ल्यू एयरलाइंस कोड दिया था, जिसे अब हटा दिया गया है. बताया जा रहा है कि दोनों कंपनियां लंबे समय से परिचालन से बाहर हैं और उनके विमान उड़ान नहीं भर रहे हैं, इसी कारण आईएटीए ने कोड को हटाने का फैसला किया है.
इस लिए जरूरी है एयरलाइंस कोड
आईएटीए की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, विमानन कंपनियों (aviation companies) को कई कामों में एयरलाइंस कोड (airlines code) की जरूरत पड़ती है. टिकट बुकिंग, शेड्यूल, टाइम टेबल, टेलीकम्यूनिकेशंस, कार्गो पेपरवर्क, लीगल, टैरिफ, ट्रैफिक समेत कई काम इनमें शामिल हैं. वेबसाइट (WebSite) पर यह भी बताया गया है कि आईएटीए के एयरलाइंस कोड के लिए विमानन कंपनी का परिचालन में रहना भी जरूरी है.
कंपनियों के सामने गंभीर वित्तीय संकट
विमानन कंपनी गो फर्स्ट और जेट एयरवेज दोनों के सामने गंभीर वित्तीय संकट खड़ा हो गया है. जेट एयरवेज के नरेश गोयल इन दिनों ईडी और सीबीआई जैसी कानून प्रवर्तन एजेंसियों की रडार पर हैं. उनके ऊपर बैंकों से मिले लोन की लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है. गो फर्स्ट दिवाला शोधन प्रक्रिया से गुजर रही है. कंपनी मई 2023 की शुरुआत से परिचालन से बाहर है. उसके बाद कंपनी दोबारा परिचालन शुरू करने की डेडलाइन को कई बार टाल चुकी है.
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