नई दिल्ली (New Dehli) । शोधकर्ताओं (researchers) ने पाया कि वायु (Air) प्रदूषण (pollution) का कम स्तर भी लोगों में स्तन और एंडोमेट्रियल कैंसर के अलावा, अन्य तरह के कैंसर (cancer) की बीमारी को बढ़ा रहा है।
सूक्ष्म कण वायु प्रदूषकों (पीएम2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) के लगातार संपर्क में रहने से लोगों में फेफड़ों के अलावा अन्य तरह के कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है। हार्वर्ड टीएचके चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि लगातार 10 सालों तक पीम2.5 और एनओ2 के संपर्क में आने से कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ रहा है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि वायु प्रदूषण का कम स्तर भी लोगों में स्तन और एंडोमेट्रियल कैंसर के अलावा, अन्य तरह के कैंसर की बीमारी को बढ़ा रहा है। शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि विशेष तरह के कैंसर के विकास में वायु प्रदूषण बहुत बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। हर आबादी के लिए स्वच्छ हवा की समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए वायु प्रदूषण के प्रभावों को पूरी तरह से परिभाषित करना चाहिए और फिर इसे कम करने की दिशा में काम करना चाहिए।
प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर के लिए खतरा
यह अध्ययन एनवायर्नमेंटल एपिडेमियोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के अनुसार प्रदूषण को फेफड़ों के कैंसर के लिए एक खतरे के रूप में देखा जाता है। इसके कारण अब स्तन कैंसर के खतरों का संबंध भी उभर कर सामने आया है। कुछ अध्ययनों ने प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल और एंडोमेट्रियल कैंसर के खतरों पर इसके प्रभावों को देखा गया है।
शोधकर्ताओं ने 2000 से 2016 तक एकत्र किए गए 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस अवधि के कम से कम शुरुआती 10 वर्षों के दौरान सभी कैंसर मुक्त थे।
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