उज्जैन। शहर की हवा में प्रदूषण का सूचकांक रोज 100 के करीब जा रहा है। हालांकि सुबह 6 से 10 बजे तक यह 60 से 70 एक्यूआई रहता है, लेकिन दोपहर से रात तक बढऩे लगता है। शहर में वायु प्रदूषण के 11 हॉटस्पॉट है। इनमें से तीन की हवा की क्वालिटी सुधारने के लिए नगर निगम और स्मार्ट सिटी 5 करोड़ खर्च कर चुकी है, फिर भी हवा साफ नहीं हो रही है।
साढ़े 3 साल पहले चिन्हित हो गए थे हॉट स्पाट
आज से करीब साढ़े 3 वर्ष पहले 2021 में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सीनियर साइंटिस्ट एडी संत, प्रतीम खरे, दीपक काले और रवि पाटीदार ने शहर के लिए चिंता वाली रिपोर्ट दी थी, जिसमें उल्लेख किया था शहर के 11 क्षेत्रों में अत्यधिक प्रदूषण है, जिसे कंट्रोल किया जाना बेहद जरूरी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि नानाखेड़ा चौराहा, हरिफाटक चौराहा, महाकाल मंदिर के पीछे वाला क्षेत्र, चक्रतीर्थ शवदाह गृह, चिमनगंज मंडी सर्कल, आगर रोड स्थित उद्योगपुरी, चामुंडा माता चौराहा, रेलवे स्टेशन-बस स्टैंड, तीन बत्ती चौराहा, रिंग रोड-मक्सी रोड और नागझिरी औद्योगिक क्षेत्र में अत्यधिक वायु प्रदूषण पाया। रिपोर्ट में सामने आया कि ज्यादातर हिस्सों में अत्यधिक वाहनों की संख्या से प्रदूषण होता है, जिसे कंट्रोल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए जाने की जरूरत है। लेकिन साढ़े 3 सालों में चामुंडा माता चौराहे पर ही नगर वन विकसित हो पाया है।
गुणवत्ता सुधार पर 5 करोड़ खर्च
शहर के प्रदूषण वाले 11 हॉटस्पॉट पर वायु में सुधार के लिए तीन वन बनाने की योजना निगम ने तैयार की थी। इनमें चामुंडा माता चौराहा, सांची वन और शिप्रा नदी के किनारे वाले क्षेत्र में छोटे वन तैयार करने का प्लान है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने 200 करोड़ की राशि प्रदेश सरकार को दी है। उज्जैन नगर निगम अभी केवल चामुंडा चौराहे पर नगर वन बना सकी है। बताया जाता है कि नगर निगम और स्मार्ट सिटी मिलकर शहर की हवा सुधारने के लिए 5 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर चुके हैं, फिर भी 11 क्षेत्रों में प्रदूषण का लेवल कम नहीं हो रहा और हवा और प्रदूषित होती जा रही है।
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