चंडीगढ़। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (National Capital Delhi) एक बार फिर प्रदूषण के घेरे में आती जा रही है, क्योंकि यहां आसपास के इलाकों में किसानों द्वारा आए दिन जलाई जा रही पराली से प्रदूषण (stubble pollution) फैलता जा रहा है। दिवाली के पांच दिन बाद भी दिल्ली के आसमान में पॉल्यूशन की चादर से धुंध छाई हुई है।
बता दें कि पंजाब (Punjab) और हरियाणा सहित आसपास के इलाकों में पराली (Stubble Burning) जलाने का सिलसिला जारी है। राज्य की पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) और पीजीआई (PGI Chandigarh) की इन्वायरमेंट स्वास्थ्य की टीम ने दावा किया है कि गत दिवस यानि सोमवार राज्य में साढ़े 4,400 से अधिक जगहों पर पराली जलाई गई।
मिली जानकारी के अनुसार पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर सुमन मोर और PGI चंडीगढ़ के डॉक्टर रविंद्र खैवाल के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब-हरियाणा में कल 4,685 जगह पराली जलाई गई। इसमें के पंजाब में 4,458 और हरियाणा में 227 जगह पराली जलाई गई। बताया गया कि अंबाला में पराली जलाने के मामलों में 80% तक गिरावट दर्ज की गई है।
पंजाब के कृषि मंत्री रणदीप सिंह नाभा ने कहा कि पराली जलाने के खिलाफ सरकार और प्रशासन के कदम कुछ सार्थक हुए हैं। उन्होंने एनजीटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस बार 51% कम स्टबल बर्निंग (पराली जलाना) हुई है। धीरे-धीरे और कम हो जाएगी।
हाल ही में सरकारी वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 36 प्रतिशत रहा, जो इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक उत्सर्जन है। ‘सफर’ के संस्थापक-परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा था, ‘आतिशबाजी से हुए उत्सर्जन के साथ दिल्ली की वायु गुणवत्ता का सूचकांक‘ गंभीर’ श्रेणी के ऊपरी छोर तक पहुंचा, पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन का हिस्सा 36 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी सफर के मुताबिक पराली जलाने की 5,450 घटनाएं रविवार को पड़ोसी राज्यों में दर्ज की गई, जो इस मौसम में सर्वाधिक हैं। दूसरी ओर सोमवार को जोरदार सतही हवाओं ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर को सोमवार को आंशिक रूप से घटाया और दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 390 दर्ज किया गया, जो ‘खराब श्रेणी’ में आता है।
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