भारत में दिवाली और उसके आसपास के हिस्सों में हवा की गुणवत्ता (Air Qulity) गंभीर से खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है। ऐसे समय में अपनी हेल्थ का ध्यान रखना और भी जरूरी हो गया है। खासतौर से बुजुर्गों और हार्ट से संबंधित बीमारियों के मरीजों को। एक ताजा स्टडी में पता चला है कि वायु प्रदूषण (Air Pollution) का हानिकारक असर उन लोगों के हार्ट पर भी पड़ सकता जो पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर और किडनी (Kidney) की बीमारी से ग्रस्त हैं। यह दावा एक स्टडी में किया गया है। रिसर्चर्स ने पाया कि सीकेडी यानी क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease) के साथ हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी से ग्रस्त वयस्कों में ग्लेसिटीन-3 (Glacitin-3) के लेवल में वृद्धि का संबंध वायु प्रदूषण (Air Pollution) के संपर्क से हैं, जिसमें हार्ट के भीतर निशान बन जाते हैं। स्टडी के नतीजों को अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (एएसएन) किडनी वीक-2021 में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया है।
अमेरिका की केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी (case western reserve university) से संबद्ध व इस रिसर्च पेपर के प्रमुख लेखक हफसा तारिक ने बताया, ‘‘वायु प्रदूषण का सीधा संबंध व्यक्तियों में सीकेडी (क्रॉनिक किडनी डिजीज) के साथ मायोकार्डियल फाइब्रोसिस (myocardial fibrosis) से है।’’
कब होता है मायोकार्डियल फाइब्रोसिस
मायोकार्डियल फाइब्रोसिस (myocardial fibrosis) तब होता है जब हार्ट की फाइब्रोब्लास्ट (fibroblast) नामक कोशिका कोलेजेनेस (collagenase) निशान ऊतक (tissue) पैदा करने लगती हैं। इससे हार्ट बीट रुक सकती है और मौत हो सकती है। तारिक ने कहा, ‘‘ एयर पॉल्यूशन को सीमित करने का लाभकारी प्रभाव सीकेडी में हार्ट संबंधी बीमारियों को कम करने के रूप में मिलेगा।’’ गौरतलब है कि यह विश्लेषण 1,019 प्रतिभागियों पर दो साल तक की गई स्टडी पर आधारित है।
दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण
रविवार 7 नवंबर की सुबह दिल्ली के एक इलाके में वायु की गुणवत्ता का स्तर खतरनाक (Hazardous) रहा।
इससे पहले 5 नवंबर (दिवाली के अगले दिन) की सुबह भी राजधानी दिल्ली के सभी इलाकों से आए एक्यूआई के आंकड़े तो कुछ ऐसी ही कहानी बता रहे थे।
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