औरंगाबाद। महाराष्ट्र (Maharashtra) में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होना है। इस बीच एक सीट अपनी ओर खासा ध्यान खींच रही है। वो है- राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से एक औरंगाबाद (Aurangabad)। राजनीतिक परिदृश्य की बात करें तो शुरू में यह कांग्रेस (Congress) का गढ़ रहा, लेकिन 1999 आते-आते शिवसेना (Shiv Sena) ने यहां अपना पैर जमा लिया और उसके बाद 2019 के चुनाव में यहां सियासी समीकरण बदले। जनता ने अपना रुख बदला और सीट एआईएमआईएम (AIMIM) के हवाले चली गई। चुनावी माहौल के बीच जानकारी सामने आई है कि यहां एआईएमआईएम को मुसलमानों (Muslims) का भारी समर्थन (Support) मिल रहा है।
औरंगाबाद में 50 वर्षीय ऑटो ड्राइवर जमीर शेख अपनी पसंद को लेकर काफी स्पष्ट हैं। वह महाराष्ट्र में विपक्षी एमवीए यानी महाविकास अघाड़ी को सत्ता में देखना चाहते हैं और अपने औरंगाबाद पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम को समर्थन देना चाहते हैं।
निजाम शासित इस क्षेत्र की राजधानी रहे इस क्षेत्र में मुस्लिम बड़ी सख्या में रहते हैं। ऐसे में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को इनका काफी समर्थन मिल रहा है। इसका कारण यह है कि ओवैसी की एआईएमआईएम पूरे राज्य में इस समुदाय की आवाज बनकर उभरने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा कर रहा है।
288 सदस्यीय विधानसभा की 16 सीटों में से दो सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ रही है, जो अब आधिकारिक तौर पर छत्रपति संभाजी नगर के नाम से जानी जाती हैं। लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे पूर्व सांसद इम्तियाज जलील औरंगाबाद पूर्व से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि औरंगाबाद सेंट्रल से इसके उम्मीदवार नासिर सिद्दीकी हैं।
पार्टी के जिला अध्यक्ष और बिल्डर समीर साजिद ने मुस्लिम वोटों में विभाजन के बारे में पूछे गए सवालों को खारिज कर दिया, जिससे सत्तारूढ़ ‘महायुति’ को मदद मिली है, जबकि लोकसभा चुनाव में उनके एकजुट होने से महा विकास अघाड़ी को बड़ी जीत हासिल करने में मदद मिली थी। उन्होंने कहा, ‘हमने हरियाणा में चुनाव नहीं लड़ा। क्या कांग्रेस जीत गई।’ साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एआईएमआईएम 2019 में 52 सीटों के मुकाबले इस बार केवल 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
इस फैसले की सराहना करते हुए कई मुसलमानों का कहना है कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि उनके वोट विभाजित नहीं होंगे। मुसलमानों के एक वर्ग का कहना है कि ऐसे समय में जब कांग्रेस जैसी पार्टियां भाजपा के हिंदुत्व के प्रति मुखर हैं। तब एआईएमआईएम पसंद होने का कारण यह है कि यह उनके मुद्दों और शिकायतों को सामने रखता है।
साजिद ने कांग्रेस और उसके सहयोगियों को छुपे हुए भाजपाई करार दिया और उन पर मुसलमानों की राजनीतिक प्रतिनिधित्व को खत्म करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि एमवीए ने लोकसभा चुनावों में एक भी मुस्लिम को मैदान में नहीं उतारा। वहीं, भाजपा कार्यकर्ता नीलेश पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी वोट जिहाद का आरोप लगाती है क्योंकि मुसलमान किसी भी पार्टी को वोट दे सकते हैं, लेकिन भाजपा के खिलाफ एकजुट होंगे।
एआईएमआईएम समर्थकों का मानना है कि पार्टी अपने मुद्दों और शिकायतों को उठाने के लिए जानी जाती है और यह मुसलमानों को आकर्षित करती है। ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के एक हालिया रैली में दिए गए भाषण को भी समर्थकों ने सराहा।
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