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2023 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाकर बचने का लक्ष्य, आयात बिल में आएगी भारी कमी

June 04, 2021
नई दिल्ली। केंद्र सरकार (central government) ने पेट्रोल (Petrol) में मिलाये जाने वाले एथेनॉल (ethanol) की मात्रा को बढ़ाकर 20 फीसदी करने के लिए पहले से तय समय सीमा में दो साल की कटौती कर दी है। पहले केंद्र सरकार (central government) ने 20 फीसदी एथेनॉल के मिश्रण वाले पेट्रोल (Petrol) को बेचने के लिए 2025 तक का लक्ष्य तय किया था लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय (Ministry of Petroleum) ने इस समय सीमा को घटाकर अब 1 अप्रैल 2023 कर दिया है। 
पेट्रोलियम मंत्रालय (Ministry of Petroleum) ने स्पष्ट किया है कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (oil marketing companies) तय मानकों के अनुरूप पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल का मिश्रण करके उसे देशभर में 1 अप्रैल 2023 से बेचना शुरू कर देंगी। आपको बता दें कि देश में पेट्रोलियम के आयात में कमी लाने और पर्यावरण की रक्षा के इरादे से केंद्र सरकार ने पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर ईंधन के रूप में उसका इस्तेमाल करने का फैसला किया था। इस फैसले के अनुरूप अभी सभी पेट्रोल पंपों पर एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की ही बिक्री की जाती है। हालांकि अभी पेट्रोल में सिर्फ 8.5 फीसदी एथेनॉल का ही मिश्रण किया जाता है। 
पहले केंद्र सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में एथेनॉल की मात्रा को बढ़ाकर 10 फीसदी करने और 2030 तक इथेनॉल की मात्रा को बढ़ाकर 20 फीसदी करने का लक्ष्य तय किया था लेकिन इस साल की शुरुआत में ही 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने के लिए तय की गई समय सीमा को साल 2030 से घटाकर 2025 कर दिया गया। इसके बाद अब इस समय सीमा में और 2 साल की कमी करके इसे 1 अप्रैल 2023 कर दिया गया है।
जानकारों का कहना है कि पेट्रोल में एथेनॉल को मिलाकर इस्तेमाल करने से पेट्रोल के आयात पर देश की निर्भरता में तो कमी आएगी ही, विदेशी मुद्रा की भी बचत हो सकेगी। इसके साथ ही देश के गन्ना उत्पादक किसानों की आय भी बढ़ाई जा सकेगी। एथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने से किया जाता है। इसके अलावा अन्य अनाजों से भी एथेनॉल का उत्पादन होता है। 
माना जा रहा है कि 2023 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिलाकर बेचने का लक्ष्य हासिल करने के लिए देश में करीब 10 अरब लीटर एथेनॉल की उत्पादन क्षमता हासिल करने की जरूरत पड़ेगी। जानकारों का दावा है कि एथेनॉल के इको फ्रेंडली होने की वजह से एथेनॉल मिला हुआ पेट्रोल पर्यावरण के लिए भी कम नुकसानदायक होगा। इसके इस्तेमाल से गाड़ी चलाने के दौरान कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) और सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) के उत्सर्जन में भी कमी आएगी। और तो और एथेनॉल में ऑक्सीजन की अधिकता होने की वजह से एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल से नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओ) का उत्सर्जन भी कम होने लगेगा। 
जानकारों का कहना है कि भारत का पेट्रोलियम आयात बिल जिस तरह से बढ़ता जा रहा है, उससे देश के खजाने और विदेशी मुद्रा भंडार पर तो बोझ बढ़ा ही है, पर्यावरण को भी काफी नुकसान हो रहा है। ऐसे में अगर पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल का मिश्रण होने लगे, तो तेल आयात बिल में 20 फीसदी तक की तो कमी की ही जा सकेगी, साथ ही पर्यावरण की रक्षा भी की जा सकेगी। 

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