ऋषिकेश। कोविशील्ड का टीका (Covishield vaccine) लगवाने के 14 दिन बाद रविवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश के 24 वर्षीय प्रशिक्षु की मौत हो गई। हालांकि, एम्स ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने मंगलवार को कहा कि प्रशिक्षु नीरज सिंह की मौत का कारण कोविशील्ड का टीका लगना नहीं है। उन्होंने बताया कि नीरज 30 जनवरी को मस्तिष्क ज्वर से प्रभावित उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur) जिले से यहां लौटे थे और कोरोना वायरस से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाने वालों को फरवरी के प्रथम सप्ताह में कोविशील्ड का टीका दिया जाना था।
थपलियाल ने कहा कि तीन फरवरी को नीरज को भी यही टीका लगा। उन्होंने कहा कि अपने सहमति पत्र में नीरज ने मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित होने की जानकारी नहीं दी थी। बाद में नीरज की तबीयत बिगड़ी तो एम्स अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज शुरू कर दिया गया, लेकिन उन्हें स्वस्थ करने के भरसक प्रयत्नों के बाद भी उनकी 14 फरवरी को मौत हो गयी। थपलियाल ने कहा कि नीरज के साथ हुई जटिलताओं का कारण कोविशील्ड का टीका लेने से पहले सहमति पत्र में उनका मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित होने की सूचना का उल्लेख नहीं होना था। उन्होंने कहा कि नीरज सिंह की असमय मौत से सारा एम्स परिवार बहुत दुखी है।
हरियाणा में भी हुई थी मौत : बीते दिनों हरियाणा की एक सीएचसी में भी कोरोना का टीका लगवाने के बाद आशा वर्कर की तबीयत बिगड़ गई थी। परिजनों ने उसे शहर के दो अलग-अलग प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। मगर आशा वर्कर ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया था। परिजनों का आरोप था कि स्वास्थ्य विभाग ने सही उपचार नहीं दिलाया और कोरोना वैक्सीन के कारण उसकी मौत हुई है। जबकि स्वास्थ्य विभाग अन्य बीमारी के कारण आशा वर्कर की मौत का दावा कर रहा है।
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